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गुरुवार को महिलाएं अखण्ड सुहाग व सुख-समृद्धि के लिए कठिन निर्जला व्रत रखेंगी। इसकी तैयारियां बुधवार को दिन भर जारी रहीं। सौन्दर्य प्रसाधन के सामानों के साथ ही पूजा सामग्री की खरीदारी के लिए महिलाओं की भीड़ बाजारों में देखने को मिली। वहीं करवा, लाई, गट्टा की भी जमकर खरीदारी की गई।
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। महिलाएं इस व्रत को पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य व सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखती हैं। यह व्रत निर्जल रखा जाता है। शाम को चन्द्रदर्शन के उपरान्त शिव, माता पार्वती की विधिवत पूजन-अर्चन के बाद पति को छलनी से देखकर करवा से जलग्रहण करने की पंरपरा है। इसके बाद ही सुहागिन महिलाएं अन्न ग्रहण करती हैं। इस बार शाम छह बजे से सात बजकर 10 मिनट तक पूजा का अच्छा मुहूर्त बताया जा रहा है। चंद्रोदय सवा आठ बजे के करीब होगा।
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करवा चौथ पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद मंदिर की साफ- सफाई कर ज्योत जलाएं।
- देवी- देवताओं की पूजा- अर्चना करें।
- निर्जला व्रत का संकल्प लें।
- इस पावन दिन शिव परिवार की पूजा- अर्चना की जाती है।
- सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- माता पार्वती, भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
- करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है।
- चंद्र दर्शन के बाद पति को छलनी से देखें।
- इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तोड़ा जाता है।
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