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पांच दिवसीय दीपावली महापर्व की शुरुआत शनिवार को धनतेरस से हो रही है। इस वर्ष धनतेरस की खरीदारी का मुहूर्त 22 अक्तूबर की शाम से 23 अक्तूबर की शाम तक है। ऐसे में लोग दो दिन शुभ मुहूर्त में खरीदारी कर सकेंगे। धनतेरस पर ब्रह्म और इंद्र नामक शुभकारी योग भी बन रहा है।

वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, 22 अक्तूबर को द्वादशी तिथि का मान शाम 4.33 बजे तक पश्चात त्रयोदशी तिथि है। इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र दोपहर एक बजकर 29 मिनट तक मिलेगा, तत पश्चात उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और ब्रह्म योग शाम 5.50 बजे तक, इसके बाद ऐन्द्र (इंद्र) योग है, जो अत्यंत शुभकारी है। चंद्रमा की स्थिति सिंह राशिगत है।

पंडित शरद चन्द्र मिश्र के अनुसार प्रदोष काल में ( सूर्यास्त के समय) में त्रयोदशी होने से धनतेरस और धन्वंतरि जयंती का पर्व इसी दिन मान्य रहेगा। इस धनतेरस पर सिद्धि सर्वार्थ संयोग बन रहा है। शनिवार की रात 8.42 बजे से रविवार को दिन में 2.38 बजे तक यह योग बन रहा है। आमतौर पर लोगों का मानना होता है कि शनिवार को लोहे का सामान, बर्तन आदि सामान नहीं खरीदना चाहिए। हालांकि धनतेरस के दिन पूरा दिन अभूतपूर्व मुहूर्त रहता है लेकिन जो लोग शनिवार की वजह से बर्तन आदि नहीं खरीदना चाहते वह रविवार को भी खरीदारी कर सकते हैं। 22 अक्टूबर के सायंकाल 4.33 बजे से कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी का मान 23 अक्टूबर के सायंकाल 5.04 बजे तक है।

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आरोग्यता के लिए करें धन्वंतरि की पूजा- पं. नरेन्द्र उपाध्याय

ज्योतिषाचार्य पंडित नरेन्द्र उपाध्याय के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के समय हाथों में कलश लिए धन्वंतरि जी की उत्पत्ति हुई थी। यह पर्व वैद्यों के लिए महत्व का है, क्योंकि धन्वंतरिजी आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं। धनतेरस के दिन रोग विमुक्त जीवन के लिए धन्वंतरि की पूजा का महात्म्य है। धनतेरस के दिन धनाध्यक्ष कुबेरजी की पूजा होती है। इस दिन धातु के बर्तनों को खरीदना समृद्धिदायक माना जाता है। यह पर्व घर में सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इसलिए इस दिन किसी को उधार नहीं देना चाहिए और धन का अपव्यय भी नहीं करना चाहिए। शाम के समय घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर दीपदान करना चाहिए। इस दीपदान करने से यमराज प्रसन्न रहते हैं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। रात को दीपक में तेल डालकर रुई की बत्ती जलाकर एक कौड़ी डालकर, रोली, चावल गुड़ से नैवेद्य अर्पित कर दीप जलाकर यम का पूजन करना चाहिए। स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गोशाला, कुआं, मंदिर आदि स्थानों पर दीपक जलाना चाहिए।

यह है खरीदारी का शुभ मुहूर्त

22 अक्टूबर के सायंकाल 4.33 बजे से कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी का मान 23 अक्टूबर के सायंकाल 5.04 बजे तक है। धनतेरस के दिन 22 को खरीदारी के लिए विशिष्ट शुभ मुहूर्त सायं 5.39 बजे से 7.10 बजे तक शुभ बेला, पुन: 10. 30 से 12 बजे रात तक घर बेला और रात्रि में 12 बजे से 3.22 बजे तक रात्रि में शुभ और अमृत बेला का योग बन रहा है। वहीं दूसरे दिन 23 अक्टूबर को सुबह 7.41 मिनट से 9.01 मिनट तक चर बेला, पुन: 9.02 बजे से दिन में 1.20 बजे तक लाभ एवं अमृत बेला और 2.40 बजे से 4.01 बजे तक शुभ बेला का योग बन रहा है।

पांच दिवसीय पर्व मनाया जाएगा छह दिन

22 अक्टूबर-धनतेरस

23 अक्टूबर- नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती

24 अक्टूबर- दीपोत्सव

25 अक्टूबर- सूयग्रहण होने से कोई त्योहार नहीं

26 अक्टूबर- गोवर्धन पूजा व अन्नकूट

27 अक्टूबर- भाई दूज व चित्रगुप्त पूजनोत्सव

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