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हस्तरेखा विज्ञान में हाथों की रेखाओं से बीमारी के संकेत मिलते हैं। रेखाओं की प्रकृति, उनके विकसित होने का तरीका और इन पर बनने वाले निशान व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह प्रभावित करते हैं। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हाथों की रेखाओं और पर्वतों पर बने चिह्नों से व्यक्ति को भविष्य में होने वाले संभावित रोगों का पता लगा सकते हैं। ये निशान बीमारी की गंभीरता दर्शाते हैं। 

-अगर शनि क्षेत्र उच्च एवं रेखाओं से भरा हो, बुध एवं शनि रेखा लहरदार लंबी और अंगुलियों का बीच का हिस्सा लंबा है तो दांतों से जुड़े रोग होने की आशंका है। मस्तिष्क रेखा के मंगल के पास वाले हिस्से पर सफेद दाग हैं और दोनों हाथों में हृदय रेखा बीच से खंडित हो तो ये गुर्दे से संबंधित रोग परेशान करेंगे। 

-चंद्र पर्वत पर नक्षत्र का चिन्ह है तो ऐसे लोगों को पेट से जुड़ी बीमारियां आजीवन परेशान कर सकती हैं।  हृदय रेखा पर गोल द्वीप हो, शनि क्षेत्र के नीचे मस्तिष्क रेखा पीली पड़ने लगे, आयु रेखा के पास मंगल क्षेत्र पर काला निशान हो या फिर हृदय रेखा पर काला तिल या द्वीप हो तो अचानक बेहोशी या हार्ट अटैक का खतरा रहता है। 

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-हाथ और नाखून पीले पड़ने लगें, साथ ही नाखूनों पर धब्बे जैसे दिखने लगें, बुध रेखा कटी-फटी दिखे तो ऐसे लोगों को आंतों से जुड़े रोग हो सकते हैं। यदि शनि के नीचे द्वीप का निशान दिखे तो रीढ़ की हड्डी की बीमारी हो सकती है। 

– बुध रेखा पर काले निशान के साथ नक्षत्र और द्वीप के चिह्न भी हों तो व्यक्ति को जीवन में पीलिया होने के संकेत हैं। मस्तिष्क रेखा पर शनि क्षेत्र के नीचे के हिस्से में जंजीर जैसा निशान दिखे तो व्यक्ति को फेफड़े और गले के जुड़े रोग हो सकते हैं। 

-हाथ के नाखून ऊंचे उठे हों और मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत से बुध पर्वत तक पंखदार होकर जाए तो ऐसे व्यक्ति को टीबी का खतरा रहता है। हाथ की अंगुलियां नुकीली एवं मुड़ी हुई, पर्वत दबे हुए हों या फिर नाखून लाल हों और उन पर चकते जैसे हों तो ये मिर्गी रोग के संकेत हैं।

(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

 

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