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हाथ में धन की कोठरी तो बहुत सुनी होगी। अनेक लोग पूछते भी रहते हैं कि धन की कोठरी कैसे होगी और यह कैसे खुलेगी। हाथ में जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा प्रमुख होती हैं। जीवन रेखा से ही कोई रेखा निकलकर शनि पर्वत तक पहुंचने वाली रेखा धन रेखा या भाग्य रेखा कहलाती है। जीवन रेखा से ही एक रेखा निकलकर बुध पर्वत तक पहुंचने वाली रेखा व्यवसाय रेखा होती है। इन रेखाओं से ही बंद कोठरी बनती है।
बाहर से खुश, अंदर से दुखी रहते हैं ये लोग
हाथ में धन की कोठरी जीवन रेखा से निकली भाग्य रेखा और व्यवसाय रेखा के साथ मस्तिष्क रेखा के साथ मिलने से बनत है। इन तीनों रेखाओं से हाथ में एक कोठरी या त्रिभुजनुमा रचन बनती है। हस्तरेखा विज्ञान में इसे ही धन की कोठरी के नाम से जाना जाता है। शनि पर्वत भाग्य, धन और गूढ विद्याओं का प्रतीक होता है। व्यवसाय रेखा व्यवसाय का प्रतीक होती है। मस्तिष्क रेखा बुद्धि का प्रतीक है। ऐसे लोग अपनी बुद्धि और व्यापार के दम पर अकूत धन कमाते हैं। हालांकि यह त्रिभुज कहीं से भी खुला हुआ नहीं हेाना चाहिए। यदि इस त्रिभुज पर क्रॉस का निशान बने तो कमाया हुआ सारा धन नष्ट हो जाता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
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