ॐ घृणि सूर्याय नमः

 

काशी के अनसुनी कहानी सीरीज के समस्त पाठकगण को सादर प्रणाम  इस सीरीज के अंतर्गत हमसभी काशी में स्थित भगवान  सूर्य के बारह स्थान के महिमा का अध्ययन कर रहे है , इस क्रम में आज हम साम्बदित्य और द्रौपदादित्य की महिमा का वर्णन करेंगे ।

साम्बादित्य की महिमा का वर्णन करते हुए कार्तिकेय जी कहते है कि श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने भगवान सूर्य की स्थापना काशी विश्वनाथ के पश्चिम दिशा में की है इनका कोई आठबार परिक्रमा करने मात्र से पूरे काशीवास का फल प्राप्त कर लेता है , जो मनुष्य साम्ब कुण्ड में स्नान करता है वो समस्त रोगों से मुक्त हो जाता है । चैत्र मास की रविवार को यदि कोई साम्बदित्य की पूजा अशोक के पुष्पों से करता है वह कभी शोक ग्रस्त नही होता है ।

अब द्रौपदादित्य की महिमा सुनिए एकबार जब पाण्डव वनवास कर रहे थे तब वो काशी पहुंचे और वहां उनकी धर्मपत्नी द्रौपदी ने भगवान सूर्य की आराधना की जो कि भगवान विश्वनाथ के दक्षिण में स्थित है तब भगवान सूर्य ने वहां उपस्थित होकर एक कलछुल और अपने इच्छा से अन्न उत्पन्न करने वाला एक अक्षयपात्र दिया और वरदान देते हुए कहा ये पात्र प्रतिदिन तब तक अन्न प्रदान करेगा जबतक तुम स्वयं भोजन ग्रहण नही कर लोगी , और कहा जिस स्थान पर तुमने मेरी पूजा की है उसे कभी भूख की पीड़ा नही सताएगी और सदा अन्न का भंडार उसके यहां भरा रहेगा ऐसा कहकर भगवान सूर्य अंतर्ध्यान हो गए कार्तिकेय जी कहते है जो मनुष्य  साम्बादित्य और द्रौपदादित्य कि इस महिमा को पढ़ेगा और सुनेगा उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे ।

इस प्रकार हम लोगो ने आज भगवान सूर्य के काशी में स्थित दो और रूपो का वर्णन किया है आगे अन्य स्वरूपो का भी वर्णन करेंगे ।

नमः पार्वती पतये हर हर महादेव

Summary
काशी के अनसुनी कहानी - 12 | साम्बदित्य और द्रौपदादित्य की महिमा
Article Name
काशी के अनसुनी कहानी - 12 | साम्बदित्य और द्रौपदादित्य की महिमा
Description
काशी के अनसुनी कहानी सीरीज के समस्त पाठकगण को सादर प्रणाम  इस सीरीज के अंतर्गत हमसभी काशी में स्थित भगवान  सूर्य के बारह स्थान के महिमा का अध्ययन कर रहे है , इस क्रम में आज हम साम्बदित्य और द्रौपदादित्य की महिमा का वर्णन करेंगे ।
Author
Publisher Name
Online Kashi Pandit
Publisher Logo
If you like it, share it.
0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *