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देवशयनी एकादशी के साथ ही 10 जुलाई से चतुर्मास प्रारंभ हो जाएगा। इस दिन से मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से क्षीर सागर में सोने को चले जाते है। फिर चार मास बाद उन्हें जगाया जाता है।
इस बार देवउठनी एकादशी चार नवंबर को होगी। ज्योतिषाचार्य आचार्य बृज किशोर गोस्वामी ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक देवशयनी एकादशी के दिन श्रीहरि विष्णु भगवान क्षीर सागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं।
उनकी यह निद्रा चार माह बाद देवउठनी एकादशी के दिन खुलती है। इन चार महीनों के दौरान भगवान शिव को संसार के संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। सारे मांगलिक कार्य इसलिए बंद हो जाते हैं। लोगों का मानना है भगवान अभी निद्रा में हैं।
ऐसे में किसी भी शुभ कार्य में भगवान का आशीर्वाद नहीं मिल पाएगा। जब देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागते हैं। उसी के साथ शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
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एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट
- श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति
- पुष्प
- नारियल
- सुपारी
- फल
- लौंग
- धूप
- दीप
- घी
- पंचामृत
- अक्षत
- तुलसी दल
- चंदन
- मिष्ठान
देवशयनी एकादशी महत्व
- इस पावन दिन व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
- इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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