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-यदि मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से थोड़ी दूर है तो ऐसा व्यक्ति सुनता तो सबकी है, लेकिन करता अपने मन की है। इससे प्रेम विवाह की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ये लोग अपने विवेक और बुद्धि पर निर्णय लेते हैं। 

-यदि मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से बहुत दूर हो तो ऐसे लोग किसी की नहीं सुनते। इन्हें जो करना होता है वह करके ही दम लेते हैं। ये लोग अपनी समझ से निर्णय लेते हैं। इस स्थिति में प्रेम विवाह की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे लोग परिवार और समाज के विरोध को दरकिनार करते हुए प्रेम विवाह करते हैं। हालांकि ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन बहुत अधिक समय तक सुखमय नहीं होता। इसका कारण है कि ये लोग बाद में अपने जीवनसाथी की भी नहीं सुनते और संबंध बिगड़ जाते हैं। 

-यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के दूर होने के बावजूद इन दोनों कोई एक अथवा अधिक शाखा जोड़ तो जिद्दीपन जैसी बुराइयां खत्म हो जाती हैं। ऐसे लोग स्वतंत्र निर्णय तो लेते हैं, लेकिन वे दूसरे की सलाह भी लेते हैं। 

सिर्फ प्रेम करते हैं, दिखावा नहीं करते ऐसे लोग

-यदि चंद्र पर्वत से कोई चंद्र रेखा निकलकर भाग्य रेखा से आकर मिल जाए तो प्रेम विवाह की संभावना बढ़ जाती है। पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे को अत्यधिक प्रेम करते हैं। ऐसे लोगों का समाज में अत्यधिक लोगों से अच्छे संबंध होते हैं। ऐसे लोगों का भाग्योदय विवाह के बाद होता है। 

-यदि चंद्र पर्वत उन्नत हो, उठा हुआ, सुंदर हो, शुभ चिह्न हो तो ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन अच्छा होता है। इन लोगों में प्रेम विवाह की संभावनाएं अधिक होती हैं। 

-यदि मस्तिस्क रेखा जीवन रेखा से जुड़ी हो तो ऐसे लोग परंपरा को मानते हैं। ऐसे लोग परिवार से विरोध करते प्रेम विवाह नहीं करता। यदि वह प्रेम विवाह करता भी है तो परिवार और समाज की सहमति के बाद विवाह करता है। यह सहमति नहीं मिलती तो वे विवाह नहीं करते।

 (इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

 

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