[ad_1]
हस्तरेखा में विवाह रेखा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जातक के हाथ में विवाह रेखा दो प्रकार की होती है। एक ऊपर की ओर उठे और दूसरे नीचे की ओर गिर जाए। विवाह रेखा का आगे बढ़कर हृदय रेखा की ओर मुड़ना अथवा कनिष्ठा उंगली की ओर मुड़ना दोनों ही स्थिति में यह जातक के वैवाहिक जीवन को प्रभावित करती है। हाथ में बुध पर्वत पर हथेली के पीछे से निकलने वाली रेखाएं विवाह रेखाएं कहलाती हैं।
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रोजाना करें ये 3 उपाय, बनेंगे धन वर्षा के योग
यदि विवाह ऊपर की ओर उठे तो इसका मतलब है कि शादी के बाद व्यक्ति का भाग्योदय होगा। यदि इस तरह की रेखा पुरुष के हाथ में है तो जीवन में पत्नी से सहयोग मिलेगा और उसके सहयोग से ही दिन-प्रतिदिन प्रगति होगी। यदि यह रेखा मुड़कर कनिष्ठा उंगली के मूल में चली जाए तो जीवनसाथी घर की तरक्की के लिए दिन-रात जुटा रहता है।
यदि विवाह रेखा नीचे की ओर हृदय रेखा की ओर आए तो पति-पत्नी के बीच तालमेल ठीक नहीं रहता। इस स्थिति में विवाह के बाद पति-पत्नी के बीच वैचारिक मतभेद बने रहेंगे। लेकिन यदि विवाह रेखा हृदय रेखा को छू जाए तो स्वास्थ्य कारणों से कलह की स्थिति बनती है। गिरती रेखा का मतलब है कि तरक्की में बाधाएं। यह रेखा जितनी नीचे गिरेगी उसके उतने ही नकारात्मक परिणाम मिलेंगे। हस्तरेखा में उठती हुई रेखा का परिणाम उन्नति से है जबकि गिरती रेखा का बाधाओं का संकेत है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
[ad_2]
Source link
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!