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ज्योतिष में सूर्य को सबसे प्रमुख और विशेष ग्रह माना गया है। जिस तरह सूर्य संसार को प्रकाशमान करते हुए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है उसी तरह ज्योतिष में भी सूर्य विशेष ग्रह है। सूर्य की अनुकूलता व्यक्ति के जीवन को उन्नति की ओर लेकर जाती है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हथेली में सूर्य का उभार जितना अधिक होगा, उसका प्रभाव भी उतना ही अधिक मिलेगा। हथेली में सूर्य पर्वत शनि की ओर झुका हो तो व्यक्ति जज एवं सफल अधिवक्ता होता है। यदि सूर्य एवं शुक्र पर्वत उभरे हुए हैं व्यक्ति विपरीत लिंग के प्रति शीघ्र एवं स्थायी प्रभाव डालने वाला, धनवान, परोपकारी, सफल प्रशासक, सौंदर्य और विलासिता प्रिय होता है। यदि सूर्य पर्वत का उभार अच्छा और स्पष्ट है, साथ में सरल सूर्य रेखा है तो व्यक्ति प्रशासक, पुलिसकर्मी, सफल उद्यागेपति बनता है। यदि सूर्य पर्वत अधिक उभार वाला हो और रेखा कटी या टूटी हो तो यह व्यक्ति को अभिमानी, स्वार्थी, क्रूर, कंजूस और अविवेकी बनाता है।
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सूर्य पर्वत पर जाली व्यक्ति को कुटिल स्वभाव का बनाती है। ऐसे जातक किसी पर भरोसा नहीं करते। सूर्य पर्वत पर तारे का चिह्न व्यक्ति के जीवन में धनहानि का संकेत देता है। हालांकि यह अत्यधिक प्रसिद्धि भी दिलाता है। गुणा का चिन्ह होने से व्यक्ति सट्टा या शेयर में धन गंवा देता है। सूर्य पर्वत पर त्रिभुज उच्च पद की प्राप्ति, प्रतिष्ठा तथा प्रशासनिक लाभ का संकेत देता है। सूर्य पर्वत पर चौकड़ी सर्वत्र लाभ एवं सफलता की निशानी है। सूर्य पर्वत का दूषित होना व्यक्ति को अपराधी बनाता है। सूर्य पर्वत एवं बुध पर्वत का संयुक्त उभार होने से व्यक्ति में योग्यता, चतुराई एवं निर्णय शक्ति अधिक होती है। ऐसा व्यक्ति श्रेष्ठ वक्ता, सफल व्यापारी या उच्च स्थानों का प्रबंधक होता है। ऐसे व्यक्तियों में धन पाने की असीमित महत्वाकांक्षा होती है। हथेली में सूर्य पर्वत के साथ यदि बृहस्पति का पर्वत भी उन्नत हो तो व्यक्ति विद्वान, मेधावी और धार्मिक विचारों वाला होता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
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