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राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस को देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। 26 जनवरी 1950 को हमारा देश गणराज्य घोषित हुआ। भारत का संविधान लागू होने के दिन को याद करने के लिए हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज़ादी से पहले इसे पूर्ण स्वराज्य दिवस के रूप में मनाया जाता था। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस इसलिए चुना गया, क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ब्रिटिश सत्ता से पूर्ण स्वराज्य यानी पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने का संकल्प लिया था। हमारा संविधान दो साल 11 माह और 18 दिन में लिखा गया। इसके लिए डॉ. भीमराव अंम्बेडकर ने ड्राफ्टिंग कमेटी का नेतृत्व किया। हमारे देश का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसे 444 अनुच्छेद 22 भागों और 12 अनुसूचियों में बांटा गया है। गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर परेड का आयोजन किया जाता है। इस परेड लेकर कई रोचक तथ्य जुड़े हुए हैं।

1955 से गणतंत्र दिवस समारोह राजपथ पर आयोजित किया जा रहा है। राजपथ को कभी किंग्सवे नाम से जाना जाता था। देश को आजादी मिलने के बाद इसका नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया। परेड से कुछ दिन पहले ही इंडिया गेट और आसपास के क्षेत्र को एक अभेद्य किले में बदल दिया जाता है। परेड के आयोजन की औपचारिक जिम्मेवारी रक्षा मंत्रालय की होती है। 26 जनवरी की परेड में औपचारिक रूप से भाग लेने से पहले तक विभिन्न दल लगभग 600 घंटे तक अभ्यास कर चुके होते हैं। परेड का सबसे रोचक हिस्सा फ्लाईपास्ट होता है। फ्लाईपास्ट की जिम्मेवारी पश्चिमी वायुसेना कमान के पास होती है जिसमें 41 विमान भाग लेते हैं। परेड में शामिल होने वाले विमान वायुसेना के अलग-अलग केंद्रों से उड़ान भरते हैं और तय समय पर राजपथ पहुंच जाते हैं। फुल ड्रेस रिहर्सल के दौरान प्रत्येक दल 12 किमी की दूरी तय करता है, जबकि परेड के दिन प्रत्येक दल नौ किमी की दूरी तय करता है। पूरे परेड के रास्ते पर निर्णायक रहते हैं, जो प्रत्येक दल पर 200 मापदंडों के आधार पर बारीकी से नजर रखते हैं। इस आधार पर सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दल को पुरस्कृत किया जाता है। परेड में शामिल सभी झांकियां पांच किमी प्रति घंटा की गति से चलती हैं।

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