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गुप्त नवरात्र बुधवार से शुरू हो रहे हैं जो नौ दिनों तक चलेगा। माघ शुक्ल के पहली तिथि से नवमी तिथि तक नियम पूर्वक नवरात्र का पूजन विशेष मनोकामना की सिद्धि के लिए किया जाता है। इस नवरात्र को कम ही लोग करते हैं। उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, बंगाल आदि प्रदेशों में इस दौरान मां भगवती की पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्र दो से शुरू होगी और दस फरवरी को महानवमी के पूजन के उपरांत समाप्त होगी। पंडित प्रभात मिश्र व पंडित जयकिशोर मिश्र ने बताया कि इस नवरात्र में नौ दुर्गा व दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। गुप्त रूप में रात्रि में मां दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, पार्वती, सीता, राधा एवं गंगा की पूजा की जाती है। इसमें साधक साधनाकाल में मां भगवती का मंत्रों का जप, तप, ध्यान करते हैं जिससे जीवन में आ रही सभी बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। इस दौरान कई साधक महाविद्या तंत्र साधना के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
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अंगधात्री शक्ति पीठ के युवाचार्य गोपाल भारती गौड़ ने बताया कि अंगधात्री नवरात्र (गुप्त नवरात्र) दो फरवरी से 11 फरवरी तक होगा। इस बार भी श्रद्धालुओं के द्वारा कलश स्थापित की जाएगी। उन्होंने बताया कि दो फरवरी को सुबह दस बजे से प्रधान कलश व सभी श्रद्धालुओं के द्वारा दिये जा रहे कलश की स्थापना के साथ चंडी पाठ का संकल्प लिया जायेगा। आठ फरवरी को सप्तमी पूजा के साथ रात्रि में निशा पूजा होगी। नौ फरवरी को अष्टमी, दस फरवरी को महानवमी पूजन व 11 फरवरी को महादशमी पूजन व कलश विजर्सन किया जायेगा।
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