[ad_1]
हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय चैत्र का महीना चल रहा है। हर माह में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं चैत्र अमावस्या तिथि, पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व…
चैत्र अमावस्या- अप्रैल 1, 2022, शुक्रवार
मुहूर्त-
- चैत्र, कृष्ण अमावस्या प्रारम्भ – 12:22 पी एम, मार्च 31
- चैत्र, कृष्ण अमावस्या समाप्त – 11:53 ए एम, अप्रैल 01
संबंधित खबरें
चैत्र मास की पहली एकादशी कब है? नोट कर लें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि
पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।
- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें।
- इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए।
- पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।
- इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।
- इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।
चैत्र अमावस्या का महत्व-
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है।
- इस पावन तिथि पर पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है।
- इस पावन दिन दान करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है।
[ad_2]
Source link
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!