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दो अप्रैल चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी। महानिशा पूजा आठ को तो महाअष्टमी का व्रत नौ को होगी। 10 को महानवमी का व्रत व हवन होगा। इसी दिन रामनवमी का पर्व भी धूमधाम से मनाया जाएगा । नवरात्र का पारण 11 को प्रातः काल में किया जाएगा। इसी दिन दशमी भी मनायी जाएगी।

मां आशापुरी मंदिर के पुजारी पंडित पुरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि साल में चार बार नवरात्रि मनायी जाती है। अषाढ़ व माघ मास में दो गुप्त नवरात्रि, चैत्र माह में बासंतिक तो आश्विन में शारदीय नवरात्रि होती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है। पंचागों के अनुसार पंडित सत्यनारायण पांडेय ने बताया कि इसबार नवरात्र का आरंभ ऐसे योग में हो रहा है कि मां दुर्गा श्रद्धालु भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी। नवरात्र का प्रारंभ सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग में हो रहा है।

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ऐसी मान्यता है कि ये दोनों ही योग बेहद शुभ फलदायी हैं। इन शुभ योग में नवरात्र का आरंभ होने पर श्रद्धालुओं को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है एवं हर कार्य की सिद्धि होती है। कहते हैं कि शुभ योग में की गई पूजा भक्तों को अभिष्ठ सिद्धि दिलवाती है। पंडित सूर्यमणि पांडेय ने बताया कि 10 अप्रैल को रवि पुष्य योग भी है। कार्य सिद्धि के लिए रवि पुष्य योग का होना फलदायी माना जाता है। इन योग में मां दुर्गा के व्रत करने के साथ ही आप यदि आदित्य हृदय स्त्रोत का भी पाठ करें तो आपके लिए ये व्रत बेहद शुभफलदायी साबित हो सकते हैं।

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कलश स्थापना मुहूर्त:

पंचाग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि दो अप्रैल को सुबह 11:58 मिनट तक कलश स्थापन का मुहूर्त है। जबकि, अभिजीत मुहूर्त में 11.24 से 12.36 तक स्थापन किया जा सकेगा। ज्योतिष के जानकार पंडित मोहन कुमार दत्त मिश्र बताते हैं कि इस बार माता दुर्गा अश्व पर बैठकर आएंगी। जबकि, महिष (भैंस) पर माता का गमन होगा।

छठ पूजा : 5 को पुरानी संझत, 6 को लोहंडा

लोक आस्था के महापर्व छठ की तैयारियां में लोग जुट गए हैं । इसबार पांच अप्रैल को पुरानी संझत (नहाय-खाय) और छह को लोहंडा है। सात को पहला अर्घ्य और आठ को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पण कर पारण के साथ ही महापर्व की समाप्ति होगी।

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