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दीपावली सबसे बड़ा त्यौहार है। सभी हिंदू अपने-अपने घरों, संस्थानों, दुकान और ऑफिस को साफ-सुथरा करते हैं और लक्ष्मी मां का आह्वान कर अपने संस्थान में व्यापार वृद्धि की कामना करते हैं और घर में लक्ष्मी का आगमन चाहते हैं, लेकिन ज्ञान के अभाव में हम बहुत से ऐसे काम कर जाते हैं जो ठीक नहीं हैं। दीवाली पर आज हम ऐसे ही कुछ कार्यों को बताने जा रहे हैं जो दिवाली पर करने चाहिए और जो नहीं करने चाहिए। 

-दिवाली पर नई झाड़ू खरीदें और दिवाली के बाद प्रातःकाल सफाई नई झाड़ू से ही करें। दूसरी या पुरानी झाड़ू का प्रयोग न करें। प्राचीन काल में घर की महिलाएं दीपावली से अगली प्रातःकाल सूर्य उदय से पहले ही घर में झाड़ू लगा कर के घर के द्वार पर रंगोली बनाती थी। देर तक दीवाली उत्सव मनाने के कारण आजकल लोग देर से उठते हैं जबकि लक्ष्मी माता के आह्वान का दिन वैसे तो जागरण का होता है, किंतु प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की सफाई करें। लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। दिवाली पूजन के समय दो बड़े दीपक जलाएं जो रात भर जलते रहें। दीपावली पूजन में अक्सर बड़े दीपक जलाए जाते हैं। एक सरसों के तेल का और एक घी का।

-लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति के दाहिनी ओर घी का दीया रखें और बांयी ओर तेल का दिया रखें। तेल का दीया पूरी रात जलता रहे। ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। इसका तात्पर्य है कि घर में पूरी रात में प्रकाश होता रहे जिससे लक्ष्मी जी का घर में आने का पथ प्रदर्शन होता रहे। प्रात:काल उसी दीपक पर प्राचीन काल में महिलाएं एक खाली दीया रखकर स्याही उतारती थी जो बच्चों एवं बड़ों को लगाई जाती थी। इससे परिवार के सदस्यों और बच्चों के रूप-लावण्य में निखार आता था और नजर नहीं लगती थी। इसलिए उसी दीपक पर कोई खाली दीपक रखकर स्याही उतारें और उसका प्रयोग करें।

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-धनतेरस से दीवाली की रात तक घर के आसपास बिल्ली दिखाई दे तो बहुत ही शुभ मानी जाती है। कहते हैं कि दीवाली की रात बिल्ली के रूप में लक्ष्मी जी हमारे घरों में फेरा लगाती हैं, इसलिए बिल्ली का दर्शन बहुत ही शुभ माना गया है।

लक्ष्णी-गणेश पूजन के साथ भगवान विष्णु जी का भी पूजन करें। गणेश जी लक्ष्मी जी के दत्तक पुत्र हैं जो  सदैव लक्ष्मी जी के बाएं हाथ की ओर रहते हैं। लक्ष्मी जी का आह्वान गणेश जी के साथ तो  करते हैं, लेकिन उसके साथ भगवान विष्णु की भी एक मूर्ति लक्ष्मी जी के दाहिने हाथ की ओर अवश्य रखें , क्योंकि महिलाएं एवं देवियां अपने पति के साथ ज्यादा प्रसन्न रहती हैं। कहा भी जाता है कि विष्णु के साथ लक्ष्मी जी का घर में निवास होना चाहिए। अकेले लक्ष्मी का नहीं।

दिवाली पर सुलक्ष्मी का पूजन करें  कुलक्ष्मी का नहीं। ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मी माता का वाहन उल्लू होता है। उल्लू यद्यपि प्रकृति का मित्र होता है, किन्तु उल्लू का दर्शन अशुभ माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है अनैतिक रूप से कमाया हुआ धन एवं दूसरों को सताकर अर्जित की हुई संपत्ति उल्लू पर बैठकर कुलक्ष्मी के रूप में आती है जो अच्छा नहीं होता है। परिवार के विकास के लिए यह अच्छी नहीं होती इसलिए विष्णु जी के साथ गरुड़ पर बैठी हुई लक्ष्मी जी का आह्वान करें। जब हम नैतिक कार्य करते हैं, ईमानदारी और परिश्रम से कमाया हुआ धन की आवक सुलक्ष्मी के रूप में होती है तो मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ गरुड़ पर बैठकर आती हैं जो स्थाई रूप से आपके घर में निवास करती हैं।

लक्ष्मी पूजन के समय घंटी और शंख ने बजाएं।  ऐसा कहा जाता है कि शाम की आरती के बाद देवगण सो जाते हैं, इसलिए उसके पश्चात शंख और घंटी बजाने से उनकी निद्रा में बाधा आती है। इसीलिए मां सरस्वती, दुर्गा एवं लक्ष्मी की पूजन में रात्रि को घंटी अथवा शंख नहीं बनाना चाहिए। घंटी बजाने का तात्पर्य होता है कि लक्ष्मी जी को घर से विदा करना। घंटा बजने का अर्थ ही समाप्ति होता है। इसलिए अपने संस्थानों में दिन में लक्ष्मी पूजन के बाद आरती के समय शंख एवं घंटी बजा सकते हैं किंतु रात्रि के अपने घर में लक्ष्मी पूजन के समय घंटी अथवा शंख नहीं बजाना चाहिए। साधारण रूप से आरती कर भोग लगाएं। व्यापारिक स्थानों पर खड़ी हुई लक्ष्मी का चित्र अथवा प्रतिमा लगाएं। पहले बड़े बुजुर्ग अपनी दुकानों एवं संस्थान पर खड़ी हुई लक्ष्मी का फोटो लगा कर के उनका पूजन करते थे। इसका तात्पर्य है कि व्यवसायिक संस्थानों में निरंतर व्यापार चलने की कामना से खड़ी हुई लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति का ही पूजन करें जो व्यापार के लिए अच्छा होता है। घरों में मिट्टी अथवा चांदी के बैठी मुद्रा में लक्ष्मी-गणेश का आह्वान करें।

(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।) 

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