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इस साल धनतेरस 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी। धनतेरस को आयुर्वेद के जनक महर्षि धन्वंतरि का भी जन्मदिन है। ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय धन्वंतरी वैद्य अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे। आरोग्य की प्राप्ति और उत्तम स्वास्थ्य के लिए धन्वंतरी जयंती पर धन्वंतरी पूजन एवं यज्ञ-हवन करना चाहिए। हमारे शास्त्रों में जीवेम शरद: शतम् अर्थात हम स्वस्थ रहते हुए सौ साल की आयु तक जीवित रहें, ऐसी कामना की गई है। यज्ञ के समय यजुर्वेद के इस मंत्र का भी जाप करना चाहिए। ’ॐ तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्रमुच्चरत् पश्येम शरद: शतं जीवेम शरद: शतम् अदीनाः स्याम शरदः शतम् भूयश्च शरदः शतात्।’
धन्वंतरी पूजन और यज्ञ मुहूर्त: प्रातःकाल 8:21 से 10:39 तक वृश्चिक लग्न (स्थिर लग्न) और मध्यान्ह 11:36 बजे से 12:24 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है। शास्त्रों में कहा गया है-’धातो: वसते लक्ष्मी:’ अर्थात धातुओं में लक्ष्मी जी का वास होता है। धातु चाहे सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात हो या लोहा, तांबा एवं पीतल। इसीलिए दीपावली के दिन महालक्ष्मी पूजन के लिए लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए धनतेरस पर चांदी के सिक्के, आभूषण एवं बर्तन आदि खरीदने की परंपरा है।
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खरीददारी का शुभ मुहूर्त: मध्यान्ह 11:36 बजे से 12:24 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है। इसके बाद अपराह्न 4:30 बजे तक खरीददारी का शुभ मुहूर्त है। शाम 18:54 बजे से 23:00 बजे तक वृषभ एवं मिथुन लग्न में भी खरीददारी के उत्तम मुहूर्त है
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
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