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हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है। त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस साल विवाह पंचमी 8 दिसंबर को है। विवाह पंचमी के दिन विधि- विधान से भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह महोत्सव मनाया जाता है। विवाह पंचमी पर माता सीता और भगवान श्री राम का विवाह महोत्सव मनाने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और सदैव भगवान श्री राम और माता सीता की कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं विवाह पंचमी पूजा- विधि और महत्व…
पूजा- विधि
- विवाह पंचमी पर भगवान श्री राम की बारात निकाली जाती है।
- घर में भगवान श्री राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान गणेश का ध्यान कर विवाह की रस्म शुरू करें।
- हनुमान जी की पूजा कर उनका आवाहन जरूर करें।
- हनुमान जी भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त हैं और मां सीता को सबसे अधिक प्रिय हैं।
- माता सीता और भगवान श्री राम को माला पहनाएं और गठबंधन करें।
- भगवान को भोग लगाएं और आरती करें।
- विवाह की रस्म पूरी होने के बाद प्रसाद बांटें।
- आज के दिन भगवान श्री राम और माता सीता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
इन राशि वालों पर नहीं आता कोई संकट, बजरंगबली करते हैं इनकी रक्षा, देखें क्या आप पर भी मेहरबान हैं हनुमान जी
शुभ मुहूर्त-
- ब्रह्म मुहूर्त- 05:13 ए एम से 06:07 ए एम
- प्रातः सन्ध्या- 05:40 ए एम से 07:02 ए एम
- अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं
- विजय मुहूर्त- 01:57 पी एम से 02:38 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त- 05:14 पी एम से 05:38 पी एम
- सायाह्न सन्ध्या- 05:24 पी एम से 06:46 पी एम
- अमृत काल- 12:56 पी एम से 02:26 पी एम
- निशिता मुहूर्त- 11:46 पी एम से 12:41 ए एम, दिसम्बर 09
- रवि योग- 10:40 पी एम से 07:02 ए एम, दिसम्बर 09
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