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 शनि प्रदोष और शिवरात्रि एक साथ होना बहुत ही अद्भुद संयोग है। इस दिन व्रत करने से भक्तगणों की विभिन्न मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शनि प्रदोष व्रत और शनि त्रयोदशी व्रत संतान की कामना के लिए किया जाता है। इसके अलावा शनि के प्रभाव के जातक यानी शनि साढ़ेसाती और ढैया और शनि की महादशा से पीड़ित जाकर भी इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और शनि भगवान की कृपा पा सकते हैं। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को मनाया जाएगा। इस व्रत से शनि का प्रकोप, शनि की साढ़ेसाती या ढैया का प्रभाव कम हो जाता है। ये दोनों व्रत एक साथ होने से मनुष्य के जीवन में सुख शान्ति की अमृत की वर्षा होती है।

Mahashivratri 2023: जानें शिवरात्रि पर किस समय और किस विधि से की गई पूजा से मिलेगा विशेष फल

 ये साल का पहला शनि प्रदोष है। इसलिए शाम के समय प्रदोषकाल में भगवान शिव का पूजन करना चाहिए और व्रत का पारण करना चाहिए। इसके बाद अब 4 मार्च और 1 जुलाई को शनि प्रदोष का योग बनेगा। कहते हैं कि शनि प्रदोष का व्रत करने से सुख समृद्धि भी मिलती है। इसके अलावा इस दिन शनि स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए। सात भगवान शिव को काले तिल मिलाकर पानी से अभिषेक कराना चाहिए।

मान्यता है कि शिवरात्रि को भगवान शिव एवं माता पार्वती का विवाह संस्कार सम्पन्न हुआ था। इसलिये गृहस्थ जीवन को प्रेम, सौहार्द  बढ़ाने के लिए 5-5 बेलपत्र पति-पत्नी को भगवान शिव पर चढ़ाना चाहिए। 

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