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चेचक, हैजा, खसरा व बोदरी जैसी महामारी से निजात दिलाती हैं शीतला माता। शीतला अष्टमी (चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी) के दिन बसिऔरा पूजा की परंपरा बीहट जलेलपुर स्थित शीतला मंदिर में वर्षों से चली आ रही है। मंदिर के पुजारी महंत महेश दास ने बताया कि करीब 25 वर्षों से बीहट नगर परिषद के वार्ड 22 जलेलपुर स्थित शीतला मंदिर में शीतला अष्टमी के दिन बसिऔरा पूजा का परंपरा चली आ रही है। पुजारी ने बताया कि माता शीतला महामारी से लोगों की रक्षा करती है। इस वर्ष 24 मार्च को महासप्तमी की पूजा तथा 25 मार्च को शीतलाष्टमी के दिन बसिऔरा पूजा है।

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महंत ने बताया कि बसिऔरा पर्व के दौरान माता शीतला को बासी भोजन का प्रसाद चढ़ाया जाता है। पूरे चैत्र महीने में किसी भी शनिवार या मंगलवार को माता शीतला की पूजा मनुष्य को ग्रह, पीड़ा तथा महामारी से निजात दिलाता है। माता शीतला मंदिर के सदस्य कन्हैया कुमार ने बताया कि वर्ष 1997 में बीहट के जलेलपुर में शीतला माता के मंदिर की स्थापना चैत्र माह में ही हुई थी और तब से शीतलाष्टमी के दिन होनेवाली बसिऔरा पूजा में न केवल बीहट व आसपास के गांव के लोग बल्कि आसपास के कई जिलों के लोग भी शामिल होते आ रहे हैँ। मंदिर समिति के द्वारा बसिऔरा पूजा की तैयारी शुरू कर दी गई है। सप्तमी यानि 24 मार्च की शाम में ही लोग पुआ, पकवान, खीर समेत अन्य व्यंजन तैयार किये जाते हैं और अगले दिन महाअष्टमी के दिन बासी व्यंजन माता शीतला को चढ़ा कर प्रसाद के रूप में लोग ग्रहण करते हैँ।

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