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Shanidev ka Makar Rashi mein Pravesh: शास्त्रों में शनिदेव को न्यायदेवता माना गया है। कहा जाता है कि शनिदेव जातक को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को शुभ फल व बुरे कर्म करने वाले जातक को दंडित करते हैं। ज्योतिषविद के अनुसार, जन्मकुंडली में शनि की शुभ स्थिति जातक को फर्श से अर्श तक पहुंचा सकती है। हालांकि शनि दोष से पीड़ित जातकों को आर्थिक, शारीरिक व मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। शनि गोचर के प्रभाव से कुल पांच राशियों पर शनि दशा शुरू होती है। अब जुलाई महीने में एक बार फिर से शनिदेव मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। शनि के मकर राशि में जाने से कुछ राशि वालों को कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
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शनि का मकर राशि में प्रवेश-
12 जुलाई को शनि मकर राशि में वक्री अवस्था में प्रवेश करेंगे। वर्तमान में शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं। शनि 5 जून को वक्री अवस्था में आए थे। शनि के मकर राशि में प्रवेश करने से कुछ राशियों पर फिर से शनि की साढ़ेसाती व शनि ढैय्या शुरू होगी। 12 जुलाई से धनु राशि वाले शनि की साढ़े साती की चपेट में आ जाएंगे। मिथुन व तुला राशि वालों पर शनि ढैय्या शुरू होगी। 17 जनवरी 2023 को शनि फिर से अपनी गोचर राशि कुंभ में वापस आ जायेंगे। शनि के राशि परिवर्तन करने से धनु, तुला व मिथुन राशि वालों को शनि दशा से मुक्ति मिल जाएगी।
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इन राशि वालों को मिल सकते हैं कष्ट
शास्त्रों में शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या को शुभ नहीं माना गया है। शनि के मकर राशि में प्रवेश से धनु, मकर व कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती चलेगी और मिथुन व तुला राशि वाले शनि ढैय्या से पीड़ित रहेंगे। शनि ढैय्या व साढ़ेसाती से पीड़ित जातकों को कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान आपको मेहनत का फल कम मिल सकता है। बनते काम बिगड़ सकते हैं। आर्थिक हानि हो सकती है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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