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अहोई अष्टमी पर माताएं संतानों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। व्रत का समापन शाम के समय तारे को अर्घ्य देकर किया जाता है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई माता का व्रत रखा जाता है। सोमवार को महिलाएं संतानों की लंबी उम्र व उत्तम स्वास्थ्य के लिए व्रत रखेंगी। इस दिन शाम को 5.50 से लेकर 7.05 मिनट तक पूजा कर व्रत क था सुनी जा सकती है। 17 अक्टूबर सुबह 9.29 से अष्टमी तिथि लगी है, जो 18 अक्टूबर सुबह 11.57 बजे तक ही रहेगी,  इसलिए 17 अक्टूबर को ही यह व्रत रखा जाएगा।  अहोई अष्टमी पर रात को तारे देखकर व्रत को खोला जाता है, कई जगह लोग चंद्रमा को देखकर भी अहोई अष्टमी का व्रत खोलते हैं।

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इस दिन भी करवा चौथ की तरह बायना सास को दिया जाता है। इसमें सुहाग की सामग्री, कपड़े और पैसे होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किसी भी धारदार चीज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मिट्टी को खोदना और लेपना नहीं चाहिए, मिट्टी की खुदाई के वक्त एक साहूकारनी से सेई के बच्चे की मौत हो गई थी और इसके बाद उसका पूरा परिवार उजड़ गया था, इसलिए सभी जीवों की सुरक्षा करना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अहोई अष्टमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इस साल अहोई अष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि का योग भी बन रहा है।

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