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देवशयनी एकादशी इस बार 10 जुलाई को है। इसी के साथ चातुर्मास की शुरुआत भी हो जाएगी। चातुर्मास के दौरान 117 दिनों तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहेंगे, इसलिए अगले चार महीने तक मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे। 4 नवम्बर को देवोत्थानी एकादशी के साथ ही सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होगी।
वाराणसी से प्रकाशित हृषिकेश पंचांग के मुताबिक 10 जुलाई को सूर्योदय 5:15 बजे और आषाढ़ शुक्ल एकादशी का मान सुबह 9:21 बजे तक है। विशाखा नक्षत्र प्रातः 6:10 बजे तक और उसके बाद शुभ योग संपूर्ण दिन और रात 10:23 बजे तक है।
ज्योतिर्विद पं. नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि चातुर्मास का धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो बरसात के कारण हवा में नमी बढ़ जाती है। इससे बैक्टीरिया और कीड़े-मकोड़े ज्यादा हो जाते हैं। उनकी वजह से संक्रामक रोग सहित अन्य बीमारियां होने लगती हैं। इससे बचने के लिए इस दौरान खान-पान में सावधानी बरतने के साथ संतुलित जीवन शैली अपनानी चाहिए।
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विवाह, यज्ञोपवीत व मुंडन नहीं होंगे
- पं. शरद चंद्र मिश्र के मुताबिक, अगले चार महीने तक विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन संस्कार आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा गृह प्रवेश विशिष्ट यज्ञों का आरंभ आदि भी निषेध हैं। लेकिन नित्योपयोगी सभी अर्चन संबंधी कार्य किए जाते हैं। ये चार महीने स्वाध्याय, मनन, चिंतन और आत्मावलोकन के लिए उपयुक्त माने गए हैं।
चातुर्मास में पान, सुपारी व मदिरा वर्जित
- ज्योतिषाचार्य पं. जितेन्द्र पाठक के अनुसार, चातुर्मास के पहले महीने सावन में हरी सब्जी, भादो में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक में दाल नहीं खानी चाहिए। इस दौरान स्वेच्छा से नियमित उपयोग के पदार्थों का त्याग करने का भी विधान है। चातुर्मास में पान मसाला, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन भी वर्जित किया गया है।
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