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 शहर से लेकर गांव तक दीपों का पर्व प्रकाश का पर्व दीपावली की धूम मची हुई है। दीपावली से एक दिन पूर्व रविवार को हर्षोल्लास के साथ छोटी दिवाली परंपरागत ढंग से मनाई गई। लोगों ने पापों के प्रतीक नरकासुर के नाश की कामना से चार ज्योत वाले दीप जलाए।छोटी दीपावली पर शाम को घर के बाहर चौमुखा दीप जलाने की परंपरा है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का संहार किया था। इसलिए छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। नदी घाटों पर जुटे लोग नरक चतुर्दशी पर नदी स्नान की प्राचीन मान्यता है। छोटी दिवाली पर बाजार में खूब रौनक रही। लोगों ने दिवाली के लिए मिठाइयां खरीदीं। झालर और डिजाइनर मोमबत्ती खरीदे दिवाली की तैयारियों में जुटे लोगों से इलेक्ट्रॉनिक बाजार भरा रहा। लोगों ने आकर्षक झालरें, सजावटी आइटम, लक्ष्मी-गणेश की इलेक्ट्रॉनिक मूर्तियां, रोशनी बिखेरने वाला शुभ-लाभ खरीदा। डिजाइनर मोमबत्ती भी बाजार में खूब बिकी।

Maa Laxmi Upay : दिवाली पर कर लें ये छोटा सा उपाय, बन जाएंगे धनवान, मां लक्ष्मी की बरसने लगेगी कृपा

क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली: छोटी दीपावली मनाने को लेकर कहा जाता है कि रति देव नाम के एक राजा थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया था, लेकिन एक दिन उनके सामने यमदूत आ खड़े हो गए। जिसे देख राजा को अचंभा हुआ और उन्होंने कहा कि मैंने तो कभी कोई पाप नहीं किया फिर भी क्या मुझे नरक जाना होगा। यह सुनकर यमदूत ने कहा कि एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप का फल है। यह सुनकर राजा ने प्रायश्चित करने के लिए यमदूत से एक वर्ष का समय मांगा। यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया। राजा ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें सारी कहानी सुनाकर अपनी इस दुविधा से मुक्ति का उपाय पूछा। तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। राजा ने वैसा ही किया और पाप मुक्त हो गए। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति के लिए कार्तिक चतुर्दशी के दिन व्रत और दीप जलाने का प्रचलन चल रहा है।

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