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प्रभु श्रीराम के अयोध्या वापस आने के हर्षोल्लास का प्रतीक पर्व है दिवाली। इस वर्ष यह पर्व 24 अक्तूबर को मनाया जाएगा। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं. राजीव शर्मा ने बताया कि इस दिन चतुर्दशी उदया तिथि में अमावस्या शाम 5:27 बजे से आरंभ होगी और हस्त नक्षत्र अपराह्न 2:41 बजे तक होगा। उसके बाद चित्रा नक्षत्र आरम्भ होगा। इस दिन प्रदोष काल सायं 5:43 बजे से रात्रि 8:16 बजे तक रहेगा।
पं. राजीव शर्मा ने बताया कि दीपावली की रात्रि बेला में लाभ, उद्देग, शुभ, अमृत और चर यह पांच चौघड़िया मुहूर्त मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूजन स्थल पर आम के पत्तों का बंदनवार लगायें। बरगद के पांच और अशोक वृक्ष के तीन पत्ते भी लाएं।
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बरगद के पत्तों पर हल्दी मिश्रित दही से स्वास्तिक चिन्ह बनायें तथा अशोक के पत्तों पर श्री लिखें। पूजा में इन पत्तों को रखें। पूजा के बाद धन रखने के स्थान पर इन्हें रखें। पूजा में मां लक्ष्मी के चरणों मे एक लाल तथा एक सफेद हकीक पत्थर रखें। दोनों के योग से चंद्र-मंगल योग बनता है। पूजा के बाद इन्हें अपने पर्स में रखें। दीपावली की रात को पूजा के बाद लक्ष्मी जी की आरती न करें। पूरी रात लक्ष्मी जी का आवाहन करना चाहिए।
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