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Grah Shanti Upay: आज हम पेड़-पौधों से ग्रहों की शांति के बारे में चर्चा करेंगे। शास्त्रों में नौ ग्रहों की शांति के लिए वृक्षारोपण पर विशेष प्रकाश डाला गया है। आपकी कुंडली में कोई अति मारक या नीच का ग्रह है, तो वृक्षारोपण से उस ग्रह के गलत प्रभाव को कम कर सकते हैं।
सूर्य: अगर कुंडली में सूर्य ग्रह अति मारक या नीच के हैं अर्थात् तुला राशि में नीच के हैं, तो इनमें से एक के सात पौधे लगाएं- आंका, लाल गुलाब, गूलर, कनेर।
चंद्र: अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा नीच के हैं अर्थात् वृश्चिक राशि में हैं तो इनमें से एक के सात पौधे लगाएं- पलाश, कनेर, चमेली, हरसिंगार।
मंगल: अगर कुंडली में मंगल देव नीच होकर बैठे हैं अर्थात् कर्क राशि में विराजमान हैं, तो इनमें से एक के सात पौधे लगाएं- खैर, गुड़हल, लाल चंदन।
बुध: अगर बुध देव नीच के हैं यानी मीन राशि में बैठे हैं, तो निम्न से एक के सात पौधे लगाएं- अपमार्ग, पान, बेला।
गुरु: अगर वृहस्पति नीच के हैं अर्थात् मकर राशि में बैठे हैं या अति मारक हैं, तो केला, बेलपत्र, गेंदा, पीपल के पौधे लगाएं।
शुक्र: जिनकी कुंडली में शुक्र देव अति मारक या नीच के होकर बैठे हैं अर्थात् कन्या राशि में विराजमान हैं, तो उन्हें निम्न से एक के सात पौधे लगाने चाहिए- सफेद चंदन, गूलर, कनेर, तुलसी।
शनि: शनि देव अगर नीच के होकर अर्थात् मेष राशि में बैठे हैं, तो उन्हें निम्न से एक के सात पौधे लगाने चाहिए- बरगद, शमी, वैजंती, पीपल, शीशम, जामुन।
राहु- केतु: जो राहु के नीच भाव में होने से प्रभावित हैं, वे केतु की नीचता से भी प्रभावित होंगे। राहु नीच के होते हैं, तो वे वृश्चिक या धनु राशि में होते हैं और केतु, वृषभ या मिथुन राशि में होते हैं। ये दोनों पूरी कुंडली को प्रभावित करते हैं। ऐसे जातक निम्न से एक के सात पौधे लगाएं-
राहु: दूर्वा, चंदन, नीम, अनार, पीपल।
केतु: कुश, अश्वगंधा, बरगद, बेलपत्र, और अनार।
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