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माता पार्वती और भगवान शिव के पावन मिलन का प्रतीक पर्व हरियाली तीज 31 जुलाई को मनाया जाएगा। सुहागिन महिलाएं कई दिन से हरियाली तीज के उल्लास में अभिभूत हैं। धार्मिक ग्रंथों में श्रावण मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज मनाई जाती है। इसे हरियाली तीज, कजली तीज और मधुश्रवा तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व श्रावण शुक्ल तृतीया पराविद्दा तिथि को मनाया जाता है।

बालाजी ज्योतिष संस्थान के पंडित राजीव शर्मा के मुताबिक, मान्यता है कि इस दिन ही विरहाग्नि में व्यथित देवी गौरां देवाधिदेव शिव से मिलीं थीं। इस दिन महिलायें मां पार्वती की पूजा करती हैं। नव विवाहिता महिलाएं अपने पीहर में आकर यह त्यौहार मनाती हैं।

Hariyali Teej Vrat : भगवान शिव-पार्वती के पुनर्मिलन पर मनाया जाता है हरियाली तीज, नोट कर लें पूजा- विधि

इस दिन व्रत रखकर विशेष श्रृंगार किया जाता है नव विवाहिता वधुएं इस पर्व को मनाने के लिए एक दिन पूर्व से कलात्मक ढंग से मेहंदी लगातीं हैं, जिसे मेहंदी मांडणा नाम से जाना जाता है। इस पर्व पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नवविवाहिता लड़की को ससुराल में नहीं छोड़ा जाता है। हरियाली तीज से एक दिन पूर्व सिंजारा मनाया जाता है। इस दिन नवविवाहिता लड़की की ससुराल से वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी एवं मिठाई भेजी जाती है। इस दिन मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है।

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