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जीवित्पुत्रिका (जिउतिया) व्रत की तैयारी में शनिवार को महिलाएं पूरे दिन व्यस्त रहीं। व्रत रखने वाली महिलाओं के घर के लड़के व पुरुष सुबह पूजा स्थल पर जाकर साफ सफाई किए। रविवार को पड़ने वाले इस पर्व के लिए खरीददारी करने निकली महिलाओं से बाजार गुलजार रहा। शहर में ओलंदगंज, चहारसू चौराहा, कोतवाली चौराहा, लाइन बाजार, पालिटेक्निक चौराहा समेत अन्य बाजारों में सड़क की पटरी पर दुकानें लगाकर ज्यूतिया गूथने वाले बैठे रहे। आभूषण की दुकानों पर महिलाओं ने सोने-चांदी की ज्यूतिया खरीदा। ग्रामीण अंचल की बाजारों में भी काफी भीड़ भाड़ रही। फल, सब्जी के अलावा चूड़ी की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ रही।
जीवित्पुत्रिका व्रत पर सूर्य देवता का पूजन किया जाता है। पूजन नदी, तालाब या कुओं की जगत पर महिलाएं समूह में बैठकर करती हैं। पूजा करने वाली महिलाएं गोंठ में ज्यूतिया माई से सम्बंधित कहानी सुनती और कहती हैं। परम्परा के अनुसार व्रत रखने वाली महिलाएं शाम को स्नान कर नए वस्त्र धारण करके पूजा स्थल पर जाती हैं। जिन महिलाओं के घर किसी को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है या कोई ज्यूतिया का व्रत शुरू करती है तो वह बैंडबाजा के साथ गोंठ में पहुंचती है। वह फल, प्रसाद व पूजापाठ की सामग्री से भरी थाल लिए रहती हैं। पूजा स्थल पर गोंठ बनाया जाता है। उसी गोंठ में बैठकर पूजन किया जाता है। व्रत को लेकर बाजारों में काफी चहल पहल रही।
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पूजा में ज्यूतिया माता को कई प्रकार के फल व चीनी से बनी मिठाई चढाई जाती है। शनिवार को बाजारों सरपुतिया के दाम आसमान छू रहे थे। सब्जी मंडी में छोटी सरपुतिया 40 व बड़ी 20 से 25 रुपए प्रति किलों बिक रही थी। ठेले पर व फुटकर सब्जी की दुकानों पर कहीं छोटी सरपुतिया 45 से 50 रुपए किलो तक बेच रहे थे। पर्व की पूर्व संध्या पर सरपुतिया की सब्जी खा कर दूसरे दिन व्रत रखने की परम्परा है। शहर और ग्रामीण अंचल के बाजारों में ठेले पर चीनी से बनी गोल-गोल लड्डू की तरह मिठाई बिक रही थी। सर्वाधिक भीड़ फलों की दुकानों पर रही। इस व्रत में कई प्रकार के फल चढ़ाए जाते हैं। रविवार दोपहर तक खरीददारी का दौर चलेगा।
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