[ad_1]
Kunwara Panchami 2022: पितृपक्ष 10 सितंबर से शुरू हो चुके हैं, जो कि 25 सितंबर तक रहने वाले हैं। इस दौरान तिथिनुसार पितरों का श्राद्ध करने का विधान है। 14 सितंबर को भी श्राद्ध किया जाएगा, जिसे कुंवारा पंचमी भी कहा जाता है। कुंवारा पंचमी पर अविवाहित पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इसके अलावा जिन लोगों की मृत्यु पंचमी तिथि के दिन हो जाती है, उनका श्राद्ध भी इसी दिन करते हैं।
क्या आपके घर में भी है पितरों की तस्वीर? जान लें ये जरूरी बातें
पिंडदान का महत्व-
पिंडदान के दौरान मृतक की आत्मा को चावल पकाकर उसके ऊपर तिल, घी, शहद और दूध को मिलाकर एक गोला बनाया जाता है। जिसे पाक पिंडदान कहा जाता है। इसक बाद दूसरा जौ के आटे का पिंड बनाकर दान किया जाता है। सनातन धर्म में पिंड का सीधा संबंध चंद्रमा से मानते हैं। कहते हैं कि पिंड चंद्रमा के माध्यम से पितरों को मिलता है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, पिंड को बनाने के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है, उनका नवग्रहों से संबंध है। जिसके कारण पिंडदान करने वाले को भी शुभ लाभ मिलता है।
पितृ पक्ष में नहीं होते हैं मांगलिक कार्य-
पितृों के समर्पित इन दिनों में हर दिन उनके लिए खाना निकाला जाता है। इसके साथ ही उनकी तिथि पर बह्मणों को भोज कराया जाता है। इन 15 दिनों में कोई शुभ कार्य जैसे, गृह प्रवेश, कानछेदन, मुंडन, शादी, विवाह नहीं कराए जाते। इसके साथ ही इन दिनों में न कोई नया कपड़ा खरीदा जाता और न ही पहना जाता है। पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों के तर्पण के लिए पिंडदान, हवन भी कराते हैं।
पितरों के नाराज होने के ये हैं 5 संकेत, आप भी जान लें
श्राद्ध की ये तिथियां शेष-
15 सितंबर- आश्विन,कृष्ण पष्ठी
16 सितंबर- आश्विन,कृष्ण सप्तमी
18 सितंबर- आश्विन,कृष्ण अष्टमी
19 सितंबर- आश्विन,कृष्ण नवमी
20 सितंबर- आश्विन,कृष्ण दशमी
21 सितंबर- आश्विन,कृष्ण एकादशी
22 सितंबर- आश्विन,कृष्ण द्वादशी
23 सितंबर- आश्विन,कृष्ण त्रयोदशी
24 सितंबर- आश्विन,कृष्ण चतुर्दशी
25 सितंबर- आश्विन,कृष्ण अमावस्या
[ad_2]
Source link
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!