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माघ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि दो फरवरी बुधवार से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी। मां आदिशक्ति की विशेष पूजा होगी। सनातन धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। ज्योतिषियों की माने तो गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की विधिवत पूजा की जाती है।
पावापुरी के जय मां अंबे लोक के पुजारी पं. पिंटू उपाध्याय ने बताया कि पौराणिक ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा गुप्त तरीके से की जाती है। इसका आशय है कि इस दौरान तांत्रिक क्रियाकलापों पर ज्यादा जोर दिया जाता है। मां दुर्गा के साधक आसपास के लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगने देते कि वे कोई साधना कर रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान जितनी गोपनीयता बरती जाए, उतनी ही अच्छी सफलता मिलती है। पं. प्रवीण उपाध्याय ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली मानी गयी है। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली पूजा से कई कष्टों से मुक्ति मिलती है। गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक महाविद्याओं को भी सिद्ध करने के लिए मां दुर्गा जी की उपासना की जाती है।
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क्या अंतर है सामान्य और गुप्त नवरात्रि में:
- मां आशापुरी मंदिर के पुजारी पं पुरेंद्र उपाध्याय बताते हैं कि समान्य नवरात्रि में आमतौर पर सात्विक और तांत्रिक पूजा दोनों की जाती है। वहीं, गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर स्वयं के शक्ति संपन्न बनाने के लिए साधनाएं की जाती हैं।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त:
-सुबह 07 बजकर 09 मिनट से 08 बजकर 31 मिनट तक है।
-अभिजीत मुहूर्त में 11.24 से 12.36 बजे तक
मां दुर्गा के इन स्वरूपों की होती है पूजा:-
- मां कालि, मां तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा होती है।
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घोड़ा पर आगमन तो हाथी पर होगा मां का गमन
- गुप्त नवरात्र पूरे नौ दिन की होगी। एक भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है। ज्योतिष के जानकार पं. मोहन कुमार दत्त मिश्र बताते हैं कि मां दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा। जबकि, हाथि पर बैठ मां प्रस्थान करेंगी। मां का घोड़ा पर आगमन क्षत्र भंग तो हाथी पर गमन अधिक बारिश का सूचक है।
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