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मकर संक्रांति इस वर्ष 15 जनवरी को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार 14 जनवरी की देर रात 2.45 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। सनातन धर्म में भगवान सूर्यदेव का बड़ा महत्व हैं। सूर्यदेव के एक राशि से दूसरे राशि में संक्रमित होने कि कृति को संक्रांति कहते हैं। इसी तरह जब सूर्यदेव का संक्रमण मकर राशि में होता हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते है। शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद संक्रांति होने पर अगले दिन सूर्योदय होने के बाद ही स्नान, दान, सहित पुण्य कर्म का प्रावधान है। वेदाचार्य पंडित रमेशचंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि 15 जनवरी को पूरे दिन मकर सक्रांति मनाई जाएगी। इस वर्ष पुण्य काल में स्नान दान के दौरान अभिजीत मुहूर्त और अमृत काल विद्यमान रहेगा।
सुकर्म योग और चित्रा नक्षत्र का शुभ संयोग
पंडित रमेशचंद्र त्रिपाठी ने बताया कि इस मकर संक्रांति सुकर्म और धृति योग के साथ-साथ चित्रा नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। यह दिन पौष मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पड़ रही है। इस शुभ संयोग में स्नान दान का बड़ा महत्व है। बताया कि गंगा स्नान का दिन बताया गया है। घर पर स्नान करें तो गंगा जल की कुछ बूंदे डाल लें।
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रविवार को भी खा सकेंगे खिचड़ी और तिल
- रमेशचंद्र त्रिपाठी बताते हैं शास्त्रों में निहित है कि सूर्य सात ग्रहों के दोष को नष्ट करते हैं। स्पष्ट है कि संक्रांति में विघ्न नहीं होता। इसलिए 15 जनवरी रविवार होने के बावजूद खिचड़ी खाने और तिल छूने में कोई दोष नहीं है। दिन और समय की बाध्यता सिर्फ हवन और यज्ञ, जिसमें अग्नि का वास होता है, उसमें देखा जाता है।
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स्नान दान का शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त: 4.56 से 5.44 तक
पुण्य काल: सुबह 7.14 से दोपहर 12.36 तक
अतिपुण्यतम: सुबह 7.14 से 9.02 बजे तक
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