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नागपंचमी का पर्व मंगलवार को है। हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पांचवीं तिथि को नाग पंचमी पर्व मनाते हैं। ये दिन पूरी तरह भगवान शिव के प्रिय नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। पौराणिक मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक काल से ही सांपों को देवताओं की तरह पूजने की परंपरा रही है। इस दिन नाग पूजा करने की पंरपरा है, लेकिन हमें जीवित सांप की पूजा नहीं करनी चाहिए, बल्कि शिव मंदिर में या नाग मंदिर में नाग देव की पूजा करनी चाहिए।
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ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को मंगलवार दिन व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र व शिव योग मिल रहा है, जो अत्यन्त शुभ है। पंचमी तिथि सूर्योदय से आरंभ होकर पूरा दिन और रात रहेगी। इसी दिन उत्तराफाल्गुनी और हस्त दोनों ही नक्षत्रो का मिलन योग भी रहेगा। हस्त नक्षत्र, शिव और सिद्ध योग, बव करण के साथ कन्या राशि में चंद्रमा के साथ पूजा करने से पर्व का महत्व बढ़ गया है।
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ज्योतिषविद अंकित चौधरी बताते हैं कि पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन के संकटों का नाश होता है। मनसा देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित भगवत गिरी ने बताया कि माता मनसा नागकुल की देवी हैं। नाग पंचमी पर उनका प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। ऐसे में माता का भव्य शृंगार होगा।
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