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आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी व्रत रखा जाता है। इस साल पापांकुशा व्रत कल यानी 6 अक्टूबर (गुरुवार) को है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु की पापांकुशा एकादशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते हैं इस दिन क्या करें-
पापांकुशा एकादशी व्रत नियम-
पापांकुशा एकादशी व्रत में चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा में धूप, फल, फूल, दीप, पंचामृत आदि का प्रयोग करें। इस व्रत में द्वेष भावना या क्रोध को मन में न लाएं। परनिंदा से बचें। इस व्रत में अन्न वर्जित है।
एकादशी के दिन करें ये काम-
-एकादशी व्रत के दिन दान अवश्य करें।
-एकादशी व्रत के दिन अगर संभव हो तो गंगा स्नान करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
-जल्दी विवाह करवाना चाहते हैं तो एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करें।
-एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के मन की सभी इच्छाएं पूरी होने के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी प्रसन्न होते हैं।
-एकादशी का व्रत रखने से धन, मान-सम्मान, अच्छी सेहत और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
पापांकुशा एकादशी व्रत कथा-
प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नाम का एक बहेलिया रहता था। वह क्रूर स्वभाव का था। उसका सारा जीवन हिंसा, लूटपाट, मद्यपान और गलत संगति पाप कर्मों में ही व्यतीत हुआ था। जब अंत समय में यमराज के दूत बहेलिये को लेने आए और यमदूत ने बहेलिये से कहा कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है। कल हम तुम्हें ले जाएंगे। यह बात सुनकर बहेलिया बहुत भयभीत हो गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचा और महर्षि अंगिरा के चरणों पर गिरकर प्रार्थना करने लगा।
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बहेलिये ने ऋषिवर से कहा, मैंने सारा जीवन पाप कर्म करने में ही व्यतीत कर दिया। कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बता दीजिए, जिससे मेरे सारे के पाप मिट जाएं और मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। उसके निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विन शुक्ल की पापांकुशा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करके को कहा। महर्षि अंगिरा के कहे अनुसार उस बहेलिए ने यह व्रत किया और किए गए सारे पापों से छुटकारा पा लिया और इस व्रत पूजन के बल से भगवान की कृपा से वह विष्णु लोक को गया। जब यमराज के यमदूत ने इस चमत्कार को देखा तो वह बहेलिया को बिना लिए ही यमलोक वापस लौट गए।
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