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हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय पौष का महीना चल रहा है। हर माह में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं पौष अमावस्या डेट, पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व…

मुहूर्त- 

पौष, कृष्ण अमावस्या प्रारम्भ – 07:13 पी एम, दिसम्बर 22

पौष, कृष्ण अमावस्या समाप्त – 03:46 पी एम, दिसम्बर 23

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पूजा- विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। 
  • स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें।
  • इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। 
  • पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। 
  • इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
  • इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।
  • इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।

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पौष अमावस्या का महत्व-

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है।
  • इस पावन तिथि पर पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है। 
  • इस पावन दिन दान करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है।

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