Description
हमारे धर्मशास्त्रों में जन्म होने के बाद कुंडली बनाने का विधान है परंतु जन्मकुंडली का विवेचन नामकरण संस्कार के समय करना चाहिये ,जो कि जन्म से बारहवें दिन होता है इसलिये जन्म के समय टिप्पणी बना कर नामकरण संस्कार के समय फल का विवेचन करने का विधान है इसी नियम के अनुसार हम बच्चों के जन्म कुंडली [टिप्पणी या टेवा} बनाते है जिसकासमय जन्म से ३ वर्षों तक होता है जिसके द्वारा हम बच्चों के निकट भविष्य मे होने वाली समस्याओं के निवारणार्थ उपाय बताते हैं जो सटिक और नियम के द्वारा बनाया जाता है
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