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माघ के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला सकट चौथ व्रत शुक्रवार को मनाया जाएगा। चंद्रोदय रात्रि 8:56 पर होगा। इस दिन माताएं संतान की लंबी आयु के लिए निर्जल व्रत रखती हैं। यह व्रत संतान के जीवन में आने वाली हर संकट और बाधा से उन्हें बचाता है। इस दिन संकट हरण गणेश जी का पूरे विधि विधान के साथ पूजन किया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी और तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है।

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि चतुर्थी तिथि शुक्रवार को प्रात: 8:51 से शुरू होकर अगले दिन 9:54 पर समाप्त होगी। इस दिन माताएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। शाम को चन्द्रोदय के दर्शन कर पूजा में दूर्वा, शकरकंद, गुड़ और तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं। दूसरे दिन सुबह सकट माता पर चढ़ाए गए पकवानों को प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।

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तिल को भूनकर गुड़ के साथ कूट लिया जाता है। तिलकुट का पहाड़ बनाया जाता है। कहीं- कहीं तिलकुट का बकरा भी बनाया जाता है। पूजन कर सभी में प्रसाद वितरित किया जाता है। पूजन के बाद माताएं सकट चौथ व्रत कथा सुनाती हैं।

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ : 21 जनवरी को प्रात: 8:51 से

चतुर्थी तिथि समाप्त : 22 जनवरी को प्रात: 9:14 तक

चन्द्रोदय का समय : रात्रि 8:56

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