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Shani Jayanthi Vrat Katha 2022 : शनि जंयती हर साल जेष्ठ मास अमावस्या को मनाई जाती है। इस बार जेष्ठ अमावस्या आज, यानी 30 मई 2022 दिन सोमवार को पड़ रही है। ऐसे में शनि जयंती भी आज मनाई जाएगी। शनि जयंती के साथ ही इस दिन वट सावित्री व्रत पूजा भी की जाती है। लेकिन इस बार सोमवती अमावस्या होने के कारण पीपल वृक्ष की पूजा भी महिलाएं करेंगी। मान्यता है कि शनिदेव का जन्म जेष्ठ मास अमावस्या को हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिन भगवान सूर्य के पुत्र हैं। शनि मनुष्य के कर्मों का फल देते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए आज के दिन लोग शनि जयंती का व्रत भी करते  हैं। आगे देखिए शनि जंयती की रोचक कथा-

Shani Jayanti Katha : सूर्य देव का विवाह राजा दक्ष की कन्या संज्ञा के साथ हुआ था। सूर्य देव के तीन संतान मनु, यमराज और यमुना थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार संज्ञा ने अपने पिता दक्ष से सूर्य के तेज उससे होने वाली दिक्कत के बारे में बताया। लेकिन राजा दक्ष ने अपनी पुत्री के बात पर ध्यान नहीं दिया और उन्होंने कहा कि तुम सूर्य देवता की अर्धांगिनी हो। पिता के ऐसा कहने पर संज्ञा ने अपने तपोबल से अपनी छाया को प्रकट किया। संज्ञा की छाया का नाम संवर्णा रखा गया।

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आगे चलकर सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि देव को जन्म हुआ। भगवान शनि देवता का वर्ण बेहद श्याम था। लेकिन जब सूर्य देवता को इस बात का पता चला कि संवर्णा उनकी अर्धांगिनी नहीं है, तो सूर्य देवता ने शनिदेव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इससे शनि देव कुपित हो गए और उनकी दृष्टि सूर्य देव पर पड़ी, जिसकी वजह से सूर्य देव काले पड़ गए और संसार में अंधकार छाने लगा। परेशान होकर सूर्य देवता भगवान शिव के शरण में गए। तब शिव जी ने उन्हें छाया (संवर्णा) से क्षमा मांगने को कहा। भगवान शंकर के ऐसा कहने पर भगवान सूर्य ने छाया से क्षमा मांगी और शनि के क्रो से मुक्त हुए। 

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