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Shani Margi 2022: शनि ग्रह की चाल 23 अक्तूबर से परिवर्तित होने जा रही है। इससे पांच राशि के लोगों को राहत मिलेगी। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पांडेय ने बताया कि शनिदेव 23 अक्तूबर को मार्गी होने जा रहे हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब भी कोई ग्रह राशि परिवर्तन या अपनी स्थिति में बदलाव करता है तो इसका सभी जातकों (पात्रों या लोगों) के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। शनिदेव सभी नौ ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह माने गए हैं। यह किसी एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं। शनि के मार्गी होने का अर्थ है कि अब शनि सीधी चाल से चलेंगे। शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए हर शनिवार को काले तिल का लड्डू गाय को खिलाना चाहिए। रोजाना संकट मोचन हनुमानाष्टक का पाठ करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पं. राकेश ने बताया कि शनि ग्रह 23 अक्तूबर को अपनी चाल में बदलाव लाने वाले हैं। वैदिक ज्योतिष गणना के अनुसार शनि ग्रह 12 जुलाई को मकर राशि में वक्री हुए थे। यानी अब तक शनिदेव मकर राशि में उल्टी चाल से चल रहे हैं। मौजूदा समय में धनु, मकर और कुंभ राशि के लोगों पर शनि की साढ़े साती और कर्क व वृश्चिक राशि के लोगों पर ढैय्या चल रही है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब शनिदेव किसी राशि में उल्टी चाल से चलते हैं तो जिन राशियों के ऊपर साढ़ेसाती और ढैय्या होती है, उन्हें कई तरह की परेशानी से जूझना पड़ता है। इन लोगों को लगातार कार्यों में असफलताएं प्राप्त होती हैं। नौकरी में तनाव और व्यापार में हानि का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा जटिल बीमारियों का सामना करना पड़ता है। जब 23 अक्तूबर को शनि मकर राशि में सीधी चाल से चलने लगेंगे तो इन राशि के लोगों के कष्ट कम होने लगेंगे। काम में आ रही रुकावट दूर होगी। नौकरी में अच्छे प्रस्ताव, व्यापार में लाभ मिलने लगेगा। मान-सम्मान में वृद्धि और बीमारियों से मुक्ति मिलेगी।
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली बताते हैं कि मकर राशि में स्वग्रही होने से शश नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण सकारात्मक प्रगति की ओर ले जाने में सक्षम होगा। शनि देव अपनी तीसरी दृष्टि से देव गुरू बृहस्पति को देखेंगे। ज्योतिष में शनि न्याय और कर्मफल दाता माने गए हैं। यह व्यक्तियों को उसके द्वारा किए गए कर्मों के आधार पर ही फल प्रदान करते हैं। शनिदेव तुला राशि में उच्च के और मेष राशि में नीच के ग्रह माने जाते हैं। बुध और शुक्र ग्रह के साथ इनकी मित्रता है। जबकि सूर्य, चंद्रमा और मंगल ग्रह इनके शत्रु माने जाते हैं। शनिदेव पुष्य, अनुराधा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी हैं। शनि एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने के लिए लगभग ढाई साल का समय लगाते हैं। शनि का गोचर काल 30 वर्षों का होता है। 19 साल शनि की महादशा चलती है।
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