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चैत्र कृष्ण अष्टमी को शीतलाष्टमी पर्व मनाया जाता है। शीतलाष्टमी शुक्रवार को श्रद्धा व सत्कार के साथ मनाई जाएगी। इस दिन बासी भोजन शीतला माता को अर्पित किया जाता है। इसलिए इसे बसौड़ा भी कहते हैं। एक दिन पहले हलवा, पूड़ी, पुआ, मिठाई आदि पकवान बनाकर रख लिया जाता है। दूसरे दिन सुबह इन पकवानों का भोग शीतला माता को लगाया जाता है।
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ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि अष्टमी तिथि गुरुवार को मध्य रात्रि 12:09 से शुरू होकर अगले दिन रात्रि 10:04 बजे तक है। शीतलाष्टमी पूजा मुहूर्त प्रातः 6:05 से शाम 6:20 तक है। माता अपने हाथ में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते धारण किए हुए हैं। इनके कलश में दाल के दानों के रूप में विषाणु और शीतल स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगाणुनाशक जल है।
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शीतला देवी मंदिर में लगेगा आठों का मेला
मेहंदीगंज स्थित शीतला देवी मन्दिर में लगने वाला आठों का मेला दो वर्ष बाद लग रहा है। बीते दो वर्षों से कोरोना संक्रमण की वजह से मेला नहीं लगा था। मेले में दूर- दराज से लोग आते हैं और जरूरत के सामान की खरीदारी करते हैं। मन्दिर कमेटी के अध्यक्ष सुनील सैनी ने बताया कि यह मेला करीब 400 वर्ष पुराना है।
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