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इस वर्ष जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र के बिना ही मनाई जाएगी। इसका कारण यह है कि 18 को जन्मोत्सव मनेगा, 19 अगस्त को पूरे दिन अष्टमी रहने के कारण व्रत रखा जाएगा। हालांकि दोनों ही दिन शुभ मुहूर्त रहेंगे।

हरि ज्योतिष संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा एवं हिमगिरि निवासी ज्योतिषाचार्य केदार नाथ मिश्रा ने बताया श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मथुरा में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। मगर इस बार अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र नहीं हैं। उन्होंने बताया इस बार अष्टमी 18 अगस्त की रात 9 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ होगी। यह 19 अगस्त की रात 10 बजकर 59 बजे तक रहेगी।

इस बार जन्माष्टमी पर खास योग वृद्धि योग बन रहा है। इस दिन भरणी नक्षत्र रात 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इसके बाद कृतिका नक्षत्र शुरू हो जाएगा। जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 18 अगस्त कर रात 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इस लिए जन्मोत्सव आज 18 अगस्त की रात में ही मनाया जा सकता है। अगले दिन उदयतिथि से रात तक अष्टमी रहेगी। इस लिए इस दिन व्रत रखना अधिक मान्य होगा। दोनों ही दिन शुभ योगों के संयोग बन रहे हैं।

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गुरुवार को वृद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। यह 17 अगस्त की रात 8 बजकर 56 मिनट से आरंभ होकर 18 अगस्त की रात 8 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ध्रुव योग बन रहा है। गुरुवार की रात 8 बजकर 41 मिनट से आरंभ होकर 19 अगस्त की रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। उधर पंडित अमित शर्मा ने बताया भगवान कृष्ण का जन्म द्वापरयुग में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी 19 अगस्त को ही मनाना श्रेष्कर रहेगा।

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और संयोग:-

  • अभिजीत मुहूर्त 18 अगस्त की रात 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक
  • वृद्धि योग: 17 अगस्त की रात 8 बजकर 56 मिनट से 18 अगस्त की रात 8 बजकर 41 मिनट तक
  • पंचाग के मुताबिक शुभ मुहूर्त 18 अगस्त कर रात 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक

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