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वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं इसी दिन मां सीता का जन्म हुआ था। इस दिन विधि- विधान से मां सीता और भगवान श्री राम की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। हिंदू धर्म में सीता नवमी का बहुत अधिक महत्व होता है। सीता नवमी के दिन विधि -विधान से मां सीता और भगवान श्री राम की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। आइए जानते हैं इस दिन कैसे करें पूजा- अर्चना…

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। 
  • घर के मंदिर में साफ- सफाई करें और गंगा जल का छिड़काव करें।
  • मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। 
  • सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। 
  • सभी देवी- देवताओं और मां सीता, भगवान राम को पुष्प अर्पित करें। 
  • मां सीता का अधिक से अधिक ध्यान करें। 
  • भगवान राम और माता सीता की आरती करें।
  • मां सीता के साथ ही भगवान राम की पूजा भी करनी चाहिए। 
  • भगवान राम और माता सीता को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। 
  • भगवान राम और मां सीता के साथ ही हनुमान जी का भी ध्यान करें। 
  • इस पावन दिन सिया राम जय राम जय जय राम का जप करें।
  • माता सीता और भगवान राम का नाम जपने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

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मुहूर्त- 

  • नवमी तिथि प्रारम्भ – मई 09, 2022 को 06:32 पी एम बजे

  • नवमी तिथि समाप्त – मई 10, 2022 को 07:24 पी एम बजे

मां सीता की इस स्तुति का पाठ अवश्य करें

  • श्री जानकी स्तुति

भई प्रगट कुमारी भूमि-विदारी जनहितकारी भयहारी।

अतुलित छबि भारी मुनि-मनहारी जनकदुलारी सुकुमारी।।

सुन्दर सिंहासन तेहिं पर आसन कोटि हुताशन द्युतिकारी।

सिर छत्र बिराजै सखि संग भ्राजै निज-निज कारज करधारी।।

सुर सिद्ध सुजाना हनै निशाना चढ़े बिमाना समुदाई।

बरषहिं बहुफूला मंगल मूला अनुकूला सिय गुन गाई।।

देखहिं सब ठाढ़े लोचन गाढ़ें सुख बाढ़े उर अधिकाई।

अस्तुति मुनि करहीं आनन्द भरहीं पायन्ह परहीं हरषाई।।

ऋषि नारद आये नाम सुनाये सुनि सुख पाये नृप ज्ञानी।

सीता अस नामा पूरन कामा सब सुखधामा गुन खानी।।

सिय सन मुनिराई विनय सुनाई सतय सुहाई मृदुबानी।

लालनि तन लीजै चरित सुकीजै यह सुख दीजै नृपरानी।।

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सुनि मुनिबर बानी सिय मुसकानी लीला ठानी सुखदाई।

सोवत जनु जागीं रोवन लागीं नृप बड़भागी उर लाई।।

दम्पति अनुरागेउ प्रेम सुपागेउ यह सुख लायउं मनलाई।

अस्तुति सिय केरी प्रेमलतेरी बरनि सुचेरी सिर नाई।।

दोहा-

निज इच्छा मखभूमि ते प्रगट भईं सिय आय।

चरित किये पावन परम बरधन मोद निकाय।।

 

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