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वास्तु शास्त्र वास्तुकला का विज्ञान का हिस्सा है जिसकी मदद से घर के लिए अच्छे से अच्छा डिजाइन तैयार किया जा सकता है। वास्तु शास्त्र हमें दिशाओं को लेकर जागरूक करने का काम करता है । जिसकी मदद से घर को और भी सुंदर बनाया जा सकता है।
प्राचीन काल में, रसोई को वास्तु के अनुसार बनाया जाता था जिसकी मदद से कमरे में सूर्य के साथ-साथ, हवा के भी उपलब्धता बनी रहती थी। सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के साथ-साथ नकारात्मक ऊर्जा के बाहर करने के लिए रसोई घर में दरवाजे और खिड़कियों की स्थिति बहुत मायने रखती है। किचन में एक ही दरवाजा होना चाहिए और कभी भी एक दूसरे के विपरीत दिशा में दो दरवाजे नहीं होने चाहिए।
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यदि आपको रसोई घर में दो दरवाजे हो तो हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि दरवाजा उत्तर या पश्चिम दिशा में खुलता हों और दूसरा दरवाजा बंद रखें।
किस दिशा में बनाएं रसोई का दरवाजा-
वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन का दरवाजा हमेशा पश्चिम या उत्तर दिशा की से होना चाहिए। अगर उत्तर दिशा में दरवाजा उपलब्ध नहीं है तो आप दक्षिण पूर्व दिशा की ओर खुलने वाले दरवाजा भी बना सकते हैं।
किचन में बड़ी खिड़की –
सूरज की किरणें सेहत के लिए हमेशा फायदेमंद होती हैं और यूवी किरणें बैक्टीरिया को खत्म करने में भी मददगार साबित होती है। रसोई एक ऐसी जगह है जहां भोजन पकाया जाता है इसलिए, वास्तु के अनुसार किचन की एक बड़ी सी खिड़की होना बेहद जरूरी है। यदि पूर्व दिशा में खिड़की बनाना उपलब्ध नहीं है, तो रसोई में बड़ी खिड़की रखने का दूसरा सबसे अच्छा विकल्प पूर्वी-दक्षिणी भाग है जहाँ से हवा और सूरज की किरणें आराम से कमरे में प्रवेश कर सकती हैं।
क्रॉस वेंटिलेशन के लिए बनाएं छोटी खिड़की –
वास्तु के अनुसार किचन की छोटी खिड़की को बड़ी खिड़की के विपरीत दिशा में रखना चाहिए। किचन में छोटी खिड़की रखने का सबसे अच्छा विकल्प कमरे की दक्षिणी दिशा में बड़ी खिड़की के विपरीत दिशा में होनी चाहिए।
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