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इस बार वट सावित्री व्रत दो दिन किया जा सकता है। अमावस्या तिथि बढ़ने से यह व्रत दो दिन आ रहा है।आईआईटी स्थित सरस्वती मंदिर के पुजारी आचार्य राकेश शुक्ल ने बताया कि ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को वट सावित्री व्रत किया जाता है। यह व्रत सत्यवान और सावित्री को समर्पित है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं। आचार्य शुक्ल ने बताया कि 29 मई को अमावस्या तिथि दोपहर करीब तीन बजे से शुरू हो जाएगी। 30 मई को शाम पांच बजे तक रहेगी। बताया कि पंचांगों के अनुसार सांयकालीन अमावस्या में व्रत करने का निर्देश है। ऐसे में 29 मई को ही व्रत रखना शास्त्रोचित होगा। तीस साल बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में सोमवती का संयोग बन रहा है। सोमवती अमावस्या के लिए पीपल के पेड़ का पूजन कर श्रृंगार सामग्री अर्पण करते हुए कच्चा सूत लपेटते हुए 108 परिक्रमा करने से अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
मुहूर्त-
- अमावस्या तिथि प्रारम्भ – मई 29, 2022 को 02:54 पी एम बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त – मई 30, 2022 को 04:59 पी एम बजे
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पूजा- विधि
- इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- इस पावन दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है।
- वट वृक्ष के नीचे सावित्रि और सत्यवान की मूर्ति को रखें।
- इसके बाद मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करें।
- इसके बाद सभी पूजन सामग्री अर्पित करें।
- लाल कलावा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें।
- इस दिन व्रत कथा भी सुनें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
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