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इस साल चौरचन का त्योहार 31 अगस्त को मनाया जाएगा। बिहार में चांद को अर्घ्य देकर यह त्योहार मनाया जाता है। इसके भाद्रपद के चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसे महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी कहते हैं, तो मिथिलांचल में इसे चौठचंद्र भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा का अर्घ्य खास होता है। शाम को चंद्रमा को खीर, पूड़ी, गुझिया, केला, खीरा, शरीफा और संतरा का फल इकट्ठे किए जाते हैं,  फिर चांद को अर्घ्य देते हैं।

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दरअसल कहा जाता है कि इस दिन जो चंद्रमा के दर्शन करता है, उसे जीवन में कलंक नहीं लगता है। इसका संबंध गणेश और चंद्रमा की कहानी से भी है। बिहार में एक तरफ जहां सूर्य की उपासना के लिए छठ पूजा का आयोजन होता है, वहीं चंद्रमा की पूजा के लिए चौरचन या चौठचंद्र मनाया जाता है। 

इसके पीछे की कहानी है कि चंद्र देव को एख बार अपनी खूबसूरती पर घमंड हो गया और उन्होंने अपने सामने गणपति का मजाक उड़ा दिया। इससे गणपति भगवान नाराज हो गए हैं और उन्होंने गुस्से में चंद्र देव को श्राप दे दिया। इसके बाद भगवान गणेश को मनाने के लिए चंद्र देव नें भाद्रपद की चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर गणेश भगवान ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि जो भी इस खास मंत्र के साथ गणेश चतुर्थी को चंद्र देव का दर्शन करेगा, उसका जीवन निष्कलंक रहेगा। तभी से यह व्रत मनाया जा रहा है। इसलिए जीवन में किसी को भी मिथ्या आरोप न लगे, इसलिए चौठचंद्र के दिन चंद्रमा को फल अर्पित कर उनके दर्शन किए जाते हैं। 

 

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