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व्यक्ति के मन में एक सवाल जरूर होता है कि उसका भाग्य कब चमकेगा। यदि व्यक्ति का भाग्योदय हो जाए तो फिर दिन-दुगुनी रात चौगुनी तरक्की मिलती जाती है। भाग्योदय होने के बाद व्यक्ति का जीवन बदलने लगता है। वह समस्त सुखों को भोग पाता है। हाथ में मुख्यत: तीन रेखाएं होती हैं। इसमें जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा मुख्य हैं। ये सभी व्यक्तियों के हाथों में मिलती हैं। भाग्योदय का संबंध शनि पर्वत से है। शनि पर्वत कैसा है, यह व्यक्ति के भाग्योदय का संकेत देता है। यदि शनि पर्वत अच्छा नहीं है तो व्यक्ति के पास धन तो आता है, लेकिन खर्च भी अधिक होता है। शनि पर्वत पर खड़ी रेखाएं हैं तो इसका मतलब है कि भाग्योदय हो रहा है। ये रेखाएं दो या दो से अधिक भी हो सकती हैं। यदि हाथ में भाग्य रेखा नहीं है, लेकिन कर्म करना शुरू कर दिया तो ऐसे लोगों का भाग्य बदलना शुरू कर देता है।
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इस तरह के लोगों के हाथों में मंगल क्षेत्र से रेखाएं बनती हैं और भाग्य रेखा बनकर शनि पर्वत तक पहुंच जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्ति के हाथ में अच्छी भाग्य रेखा है, लेकिन काम नहीं करता। यदि भाग्य रेखा पर द्वीप बन जाए तो व्यक्ति नौकरियों को अत्यधिक बदलता है। वह टिककर नौकरी नहीं कर पाता। इस तरह के लोग व्यवसाय में परेशान होते हैं। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यदि हाथ में भाग्य रेखा है और चंद्र पर्वत से कोई रेखा निकलकर जीवन रेखा में मिल जाए अथवा शुक्र पर्वत पहुंच जाए तो व्यक्ति का भाग्य बदलने लगता है। यदि हाथ में भाग्य रेखा है और द्वितीय मंगल, बुध पर्वत और बृहस्पति पर्वत पर छोटी-छोटी रेखाएं बननी भी शुरू हो जाएं तो इसका मलतब है कि भाग्योदय होने वाला है। भाग्योदय का मतलब है कि व्यक्ति धीरे-धीरे तरक्की को पाने लगता है। हालांकि यदि मंगल क्षेत्र से बहुत सारी रेखाएं निकलकर नीचे की ओर बढ़ें तो यह संघर्ष को दर्शाती है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
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