खरमास : सूर्य चले गुरु के घर, 14 जनवरी तक शुभ कार्यो पर लगेगा विराम, नोट कर लें इस माह क्या करें और क्या नहीं

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मार्ग शीर्ष शुक्ल पक्ष त्रयोदशी 16 दिसम्बर 2021 दिन गुरुवार को दिन में 2:27 बजे, ग्रहो में राजा की पदवी प्राप्त सूर्य देव का गोचरीय संचरण मूल नक्षत्र एवं धनु राशि मे प्रारम्भ होगा। इसी के साथ खरमास हो जाएगा आरम्भ। विवाह आदि के लिए शुभ मुहूर्तों का हो जाएगा अभाव। 

एक संवत्सर में अर्थात एक वर्ष में बारह राशियों पर भ्रमण करते हुए सूर्य बारह संक्रांति करते हैं। सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि मे प्रवेश करते है तो यह स्थिति संक्रांति  अर्थात गोचर कहलाती है। अपनी बारह संक्रांतियों के दौरान जहाँ सूर्य वर्ष में एक बार एक माह के लिए अपनी उच्च स्थिति में रहकर अपने सम्पूर्ण फल में उच्चता प्रदान करते हैं, और एक बार अपनी राशि सिंह में स्वगृही रहकर भी अपने सभी कारक तत्वों, आधिपत्य अर्थात प्रभावों में संपूर्णता प्रदान करते है तो, वही एक माह के लिए अपनी नीच स्थिति को प्राप्त करते हुए निम्न फल भी प्रदान करते हैं।

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शुक्र ग्रह की राशि तुला में सूर्य की स्थिति सबसे कमजोर होती है। अपने इसी स्वाभाविक संचरण के क्रम में जब सूर्य का गोचरीय संचरण देव गुरु बृहस्पति की राशियों धनु एवं मीन में होता है तब वह मास ,खरमास या धनुर्मास कहलाता है। खरमास में विवाह आदि महत्वपूर्ण शुभ कार्य नही किये जाते हैं परंतु भगवत आराधना की दृष्टिकोण से यह मास अति उत्तम मास होता है। इस प्रकार इस अवधि में जहाँ शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित रहते है वही आत्मचिन्तन और ईश आराधना के लिए श्रेष्ठ समय होता है। क्योंकि इन दोनों राशियों के तथा इस महिने के अधिपति देव गुरु बृहस्पति के होने से भगवद् भक्ति तथा शुभफल की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम महिने के रूप में मान्य है।

इस वर्ष 16 दिसम्बर दिन गुरूवार को सूर्य देव वृश्चिक राशि का परित्याग कर दिन में 2 बजकर 27 मिनट पर धनु राशि पर आरूढ़ हो जायेंगे और इसी के साथ ही खरमास आरम्भ हो जाएगा । सूर्य देव 14 जनवरी 2021 दिन शुक्रवार को रात में 8 बजकर 34 मिनट तक धनु राशि मे गोचरीय संचरण करते रहेंगे । इस प्रकार लगभग एक महीने तक सूर्यदेव धनु राशि पर गोचरीय संचरण करते रहेगे । तत्पश्चात 14 जनवरी दिन शुक्रवार को रात में 8 बजकर 34 मिनट पर धनु राशि को छोड़कर शनि देव की राशि मकर में प्रवेश करेगे। इसी के साथ एक महिने से चल रहे धनुर्मास अर्थात खरमास का समापन हो जाएगा।  मकर राशि मे प्रवेश करने के साथ ही सूर्य देव उत्तरायण की गति प्रारम्भ करते है । और इसी के साथ विवाह आदि शुभ कार्यो के लिए शुभ मुहूर्त्त मिलने लगते है। 

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खरमास में निम्न कार्य किये जा सकते हैं

  •       दो ग्रह ,सूर्य ,चन्द्रमा और बृहस्पति में से किसी दो ग्रहो का बल प्राप्त होने से पुंसवन, सीमन्तोन्यन, प्रसूति स्नान, जातकर्म, अन्नप्राशन, विपणीव्यापार, पशुओं की खरीद और विक्रय, भूमि क्रय- विक्रय, हलप्रवहण, धान्य स्थापन, भृत्य कर्मारम्भ, शस्त्रधारण, शय्या- उपभोग, आवेदन पत्र लेखन, इष्टिका निर्माण, इष्टिकादहन, रक्त वर्ण और कृष्ण वस्त्र धारण, रत्नधारण, जलयन्त्र- कर्म, मुकदमा सम्बन्धी कार्य, वाद्य कलारम्भ, शल्यकर्म, नृत्यकलारम्भ, धान्यछेदन, वृक्षारोपण, कार्यारम्भ, नौकरी प्रारम्भ,आभूषण निर्माण इत्यादि कार्य करने योग्य हैं ।

अविहित अर्थात जो कार्य नही किये जा सकते हैं :-

  •  वरवरण, कन्यावरण, विवाह सम्बन्धी समस्त कार्य, वधूप्रवेश, द्विरागमन, गृहारम्भ, गृहप्रवेश, वेदारम्भ, उपनयन, मुण्डन, दत्तक पुत्र ग्रहण, विद्यारम्भ, देव प्रतिष्ठा, कर्णवेध, जलाशय- वाटिका आरम्भ इत्यादि कार्य अविहित हैं।

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