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सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है। इस माह में विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना की जाती है। सावन माह के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। भगवान शंकर का दिन सोमवार होता है। 8 अगस्त को सावन का अंतिम सोमवार है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हें सावन के अंतिम सोमवार की पूजा- विधि, महत्व और सामग्री की पूरी लिस्ट…
पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
- शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
- भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।
- भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
सावन सोमवार व्रत का महत्व-
- सावन के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। सोमवार का व्रत करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सावन का महीना भगवान शिव को अतिप्रिय होता है, जिस वजह से इस माह के सोमवार का महत्व सबसे अधिक होता है।
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शुभ मुहूर्त-
- ब्रह्म मुहूर्त– 04:21 ए एम से 05:04 ए एम
- अभिजित मुहूर्त– 12:00 पी एम से 12:53 पी एम
- विजय मुहूर्त– 02:40 पी एम से 03:33 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त– 06:54 पी एम से 07:18 पी एम
- अमृत काल– 06:31 ए एम से 07:59 ए एम
- निशिता मुहूर्त– 12:06 ए एम, अगस्त 09 से 12:48 ए एम, अगस्त 09
- रवि योग– 05:46 ए एम से 02:37 पी एम
पूजन सामग्री की लिस्ट- पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
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