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माघ मास के शुक्लपक्ष की पंचमी को बसंत पंचती का पर्व मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी आज मनाई जाएगी। मंदिरों और घरों में सरस्तवी पूजन के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन अबूझ स्वयं सिद्घ मुहूर्त एवं शुभ योग होने के कारण सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं. राजीव शर्मा ने बताया कि यह दिवस बसंत ऋतु के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में बसंत को ऋतुराज माना जाता है। होली के त्योहार की शुरुआत भी बसंत पंचमी से ही होती है। इसी दिन फाग उड़ाना आरंभ करते हैं, जिसका अंत फाल्गुन की पूर्णिमा को होता है। भगवान श्रीकृष्ण इस त्योहार के अधिदेवता हैं, इसलिए ब्रज प्रदेश में राधा तथा कृष्ण का आनंद-विनोद बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसी दिन किसान अपने नए अन्न में घी, गुड़ मिलाकर अग्नि तथा पितरों को तर्पण करते हैं।
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पूजन विधि
- शरीर पर तेल से मालिश करें। स्नान के बाद आभूषण धारण कर पीले वस्त्र धारण करें। कलश की स्थापना करके गणेश, सूर्य, विष्णु तथा शंकर की पूजा करके बाद में देवी सरस्वती की पूजा करें। शिशुओं को तिलक लगाकर अक्षर ज्ञान प्रारंभ कराने की भी प्रथा है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर यथाशक्ति दान देना चाहिए।
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