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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भी इस बार रक्षाबंधन पर्व की तरह दो तिथियों में पड़ रहा है। ऐसे में जन्माष्टमी मनाए जाने को लेकर असमंजस बना हुआ है। 18 को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी है, लेकिन पूरा दिन सप्तमी होगा इसके अलावा रात में रोहिणी नक्षत्र नहीं हैं। ज्योतिषाचार्य एवं कथावाचक सुनील शास्त्री कहते हैं कि ऐसे में अष्टमी का व्रत नहीं किया जा सकता है। अष्टमी तिथि रात 9.21 बजे से 19 को रात 10.59 बजे तक रहेगी। निशीथ पूजा योग 12.03 बजे से 12.47 बजे तक कुल 44 मिनट तक ही रहेगा, पारण सुबह 5.52 बजे कर सकेंगे।
सुनील शास्त्री के अनुसार इससे सुखद योग 19 को मिल रहा है। दिन भर अष्टमी का व्रत करें और रात नंदोत्सव में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा सकेगी। इस दिन उच्च राशि के चन्द्रमा में अष्टमी होगी। इस तिथि में बुध और सूर्य साथ-साथ रहेंगे। बुधादित्य योग भी बन रहा है। भाद्रपद मास में कृष्ण जन्माष्टमी प्रमुख त्योहार होता है। कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी पर खास संयोग भी बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र 20 को 1.52 बजे से 21 को 4.39 बजे तक रहेगा।
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इस बार जन्माष्टमी में क्या है अलग
द्वापर युग में मथुरापुरी में भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मध्य रात में 12.00 बजे निशीथ बेला में वृषभ लग्न में उच्च राशि के चन्द्रमा में अजन्मे श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। उस समय के कई सुंदर योग इस बार जन्माष्टमी में मिल रहे हैं। ज्योतिषाचार्य सुनील कुमार शास्त्री बताते हैं कि स्मार्त संप्रदाय के अनुसार 18 को निशीथ व्यापनी अष्टमी तिथि में तथा वैष्णव श्रीकृष्ण जन्मभूमि श्रीद्वारिकाधीश मंदिर सहित 19 अगस्त को सूर्य उदय व्यापिनी जन्माष्टमी मनाएंगे। अष्टमी तिथि 18 को रात 9.21 बजे से 19 को रात 10.59 बजे तक रहेगी।
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