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भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस महापर्व का सुखद संयोग 19 अगस्त शुक्रवार को प्राप्त हो रहा है। ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य डा.शैलेश मोदनवाल ने बताया कि उक्त दिन उदया तिथि से ही अष्टमी तिथि मिल रही है जो रात्रि 01 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। कृतिका नक्षत्र रहेगी तथा रोहिणी भोर में 4.58 बजे के बाद लगेगी। भविष्य पुराण के अनुसार जन्माष्टमी व्रत से सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है। स्कंदपुराण के अनुसार उक्त व्रत रखने से लक्ष्मी की प्राप्ति व कार्यों की सिद्धि होती है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में उक्त व्रत को कोटि गुना अधिक फलदायी कहा गया है। मध्य रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण के बाल विग्रह रूप का ध्यान करें। उन्हें पंचामृत से स्नान कराकर उनके श्री चरणों को धोकर नववस्त्र से अलंकृत कर माखन मिश्री का भोग लगाकर षोडशोपचार से पूजन करें। उन्हें पालने में झुलाएं और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप तथा गोपाल सहस्त्र नाम का पाठ करें।
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी आज पूरे उत्साह के साथ मनाई जाएगी। इस बार वृद्धि व ध्रुव योग का विशेष संयोग भी रहेगा। जन्माष्टमी पर इन योगों में पूजा करने से घर की सुख-संपत्ति में वृद्धि होती है और मां लक्ष्मी का वास होता है।
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