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हिंदू धर्म में मासिक कालाष्टमी व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कालाष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है। यह तिथि भगवान भैरवनाथ को समर्पित होती है। इस दिन विधि- विधान से भगवान भैरवनाथ की पूजा- अर्चना की जाती है। कालाष्टमी को भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। 22 मई यानी कल कालाष्टमी व्रत रखा जाएगा। आइए जानते हैं कालाष्टमी व्रत पूजा- विधि और शुभ मुहूर्त-
पूजा- विधि…
- इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत रखें।
- घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें।
- इस दिन भगवान शंकर की भी विधि- विधान से पूजा- अर्चना करें।
- भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और गणेश भगवान की पूजा- अर्चना भी करें।
- आरती करें और भगवान को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
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इन शुभ मुहूर्तों में करें पूजा-
- ब्रह्म मुहूर्त– 04:04 ए एम से 04:46 ए एम
- अभिजित मुहूर्त- 11:51 ए एम से 12:45 पी एम
- विजय मुहूर्त– 02:35 पी एम से 03:30 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त– 06:55 पी एम से 07:19 पी एम
- अमृत काल- 12:48 पी एम से 02:21 पी एम
- निशिता मुहूर्त– 11:57 पी एम से 12:38 ए एम, मई 23
- द्विपुष्कर योग– 05:27 ए एम से 12:59 पी एम
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कालाष्टमी व्रत का महत्व-
- इस पावन दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है।
- कालाष्टमी के दिन व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- भैरव बाबा की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है।
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