भूतादिपं भुजग भूषण भूषितांगं

व्याघ्रांजिनां बरधरं, जटिलं, त्रिनेत्रं

पाशांकुशाभय वरप्रद शूलपाणिं

वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाथं ||


काशी की अनसुनी कहानी के समस्त पाठको को सादर प्रणाम अब तक हमने शिव जी की विजय यात्रा के बारे में अध्ययन किया अब हम काशी के सिद्ध शिवलिंगो की उत्पति और माहात्म्य को जानेंगे इस क्रम में आज हम परापरेश्वर और व्यघ्रेश्वरशिव लिंग अध्ययन करेंगे |

कार्तिकेय जी कहते है – ज्येष्ठेश्वर क्षेत्र के सब ओर ब्राह्मणो ने जो शिवलिंग स्थापित किये है वो पूर्ण सिद्धि को देने वाले है | ज्येष्ठेश्वर के उत्तर भाग में परम पूजनीय परापरेश्वर लिंग है , जिसके दर्शनमात्र से निर्मल ज्ञान की प्राप्ति होती है |

दण्डखात नमक महातीर्थ के समीप जब ब्राह्मणलोग तप कर रहे थे , उस समय दुन्दुभिनाद नामका एक दैत्य ने मन ही मन सोचा देवताओ को यदि जितना है तो उनके ताकत को कमजोर करना पढ़ेगा और देवता की ताकत ब्राह्मण है क्योंकि वो यज्ञ करके देवताओ को अन्न देते है और यदि ब्राह्मण नष्ट हो जाये तो देवताओ को यज्ञ  का भाग नहीं मिलेगा और देवता की ताकत कमज़ोर हो जाएगी | इस प्रकार निर्बल हुए देवता को सरलता से जीता जा सकता है |यह सोचकर वह दैत्य  काशी में आकर उस मायावी दैत्य ने कितने ही ब्राह्मणो को मार डाला | ब्राह्मण लोग जब भी जंगलो में लकड़ी लेने जाते तो वह दैत्य उनको खा जाता |वह दिन में आश्रम में जाकर देखता की बाहर आने जाने का रास्ता क्या है और  रात में व्याघ्र रूप में आकर ब्राह्मणो को खा जाता था |इसप्रकार उस दैत्य ने बहुत से ब्राह्मणो को मार डाला |

एक दिन शिवरात्रि के दिन एक शिवभक्त ब्राह्मण महादेव जी की पूजा करके उनके ध्यान में बैठा था | उसी समय अपने बल के घमंड में भरे हुए दैत्यराज दुंदुभि ने व्याघ्र का रूप धारण करके उस भक्त को पकड़ लेने का विचार किया | परतु उसी समय सर्वव्यापी भगवानशिव ने उस दुष्ट दैत्य के मनोभाव को समझकर उसका वध करने का विचार किया | वे उस भक्तद्वारा पूजित शिवलिंग से सहसा प्रकट हो गए और उस दैत्य को अपने कांख में दबा लिया और उसी में पीस डाला |इस प्रकार कांख में दबा हुआ वह असुर चिल्लाते हुए  मृत्यु को प्राप्त हो गया | उसकी गर्जना सुनकर आश्रम के बहुत से ब्राह्मण जग गए और भगवान शिव को देखकर जय जय कार करते हुए बोले – आप हमपर कृपा कीजिये आप व्याघ्रेश के रूप में इस स्थान पर निवास कीजिये | आप सदैव इस स्थान की  रक्षा करे |

भगवाम शिव ने कहा – ब्रह्मणो ऐसा ही होगा और जो कोई भी इस व्याघ्रेश्वर लिंग का स्पर्श करेगा उसके समस्त भय का नाश हो जायेगा और जो कोई दर्शन करेगा उसके जीवन में होने वाले उपद्रवों का मै नाश करूँगा

इसप्रकार आज हमने परापरेश्वर और व्याघ्रेश्वर जैसे सिद्ध लिंगो के बारे में पढ़ा जिसका स्मरण भी मनुष्यो को घोर आपदा से मुक्ति दिलाता है |

आगे शैलेश्वर लिंग का अध्ययन करेंगे |

हर हर बम बम

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